टीवी न्यूज़ चैनलों पर कल से यूपी के उन्नाव के साथ ही साथ जम्मू के कठुआ का रेप काण्ड भी छा गया है.
कल 11 अप्रैल को हुए जबरदस्त जम्मू बन्द के बाद उस आंदोलन से सम्बन्धित खबरों बहसों को देख सुनकर ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो कठुआ में बलात्कार के दोषी अपराधियों को बचाने की कोशिश की जा रही है.
जबकि वास्तविकता कुछ और ही है.
जम्मू क्षेत्र में अवैध रूप से बसे रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को राज्य से बाहर खदेड़ने की मांग पिछले कई महीनों से तेज होती जा रही थी.
इस मांग के समर्थन में बीती 4 अप्रैल से जम्मू हाई कोर्ट बार एसोसिएशन हड़ताल पर था.
11 अप्रैल को उसने अपनी मांगों के समर्थन में जम्मू बन्द का आह्वान किया था, उसके इस आह्वान को भारी जन समर्थन मिला था, परिणामस्वरूप 11 अप्रैल को आयोजित जम्मू बन्द शत प्रतिशत सफल हुआ था.
कल 11 अप्रैल को अदालत में पुलिस द्वारा कठुआ रेप काण्ड से सम्बन्धित चार्जशीट दाखिल करने का विरोध भी इसीलिए किया गया क्योंकि हड़ताल की वजह से बीती 4 तारीख से अदालतों में कामकाज नहीं हो रहा था और कल तो जम्मू बन्द के कारण सारे जम्मू क्षेत्र में ही सार्वजनिक जनजीवन ठप्प था.
इसी के साथ खेल यहीं से शुरू हुआ. दरअसल 4 अप्रैल को शुरू हुई जम्मू हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की हड़ताल में एसोसिएशन ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को राज्य से बाहर खदेड़ने की अपनी मुख्य मांग के साथ ही साथ कई अन्य मांगें भी सरकार के समक्ष रखी थीं.
उन कई मांगों में से एक मांग यह भी थी कि कठुआ रेप काण्ड की जांच सीबीआई को सौंपी जाए.
लेकिन कल जबरदस्त जन सहभागिता के कारण शत प्रतिशत सफल हुए जम्मू बन्द के मुख्य मुद्दे (अवैध रूप से बसे रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को राज्य से बाहर खदेड़ने की मांग) से देश का ध्यान हटाने के लिए, उसकी आँखों में धूल झोंकने के लिए कल से न्यूज़ चैनलों पर यह दुष्प्रचार प्रारम्भ हुआ कि कठुआ रेप काण्ड के दोषियों को बचाने के लिए जम्मू की जनता और वकील दबाव बना रहे हैं.
न्यूज़ चैनली दुष्प्रचार का यह सारा देशघाती ताण्डव केवल इसलिए किया जा रहा है ताकि जम्मू में अवैध रूप से बसे रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों को राज्य से बाहर खदेड़ने की मांग कर रही जनता और वकील अपनी बदनामी के डर के दबाव में आकर अपना आन्दोलन वापस ले लें.
और जम्मू में अवैध रूप से बसे रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की देशघाती समस्या पर कठुआ रेप काण्ड का पर्दा डाल दिया जाए.
इसीलिए मैंने ऊपर लिखा है कि यह देशहित के साथ मीडियाई बलात्कार का घृणित उदाहरण है.