ज़िंदगी हमेशा ऐसे ही परीक्षा लेती है कम से कम समय में अपना अधिक से अधिक उड़ेल देना है रात ग्यारह बजे पता चला आज मीना कुमारी की पुण्यतिथि है .. अंग्रेज़ी कैलेण्डर के हिसाब से चलने वाली वेबसाइट पर रात बारह बजे से पहले कुछ लिखना है.
आँख बंद की तो याद आई बचपन की वो सबसे पहली स्कैच पेंटिंग जो मैंने मीना कुमारी की बनाई थी… और पापा ने उसे बैठक खाने में दीवार पर जगह दी थी…
चौदह से चालीस साल के बीच मीना ने बहुत लंबा सफ़र तय किया है मेरे साथ… अब शुरू हुई खोज गूगल पर उस तस्वीर की जिसको देखकर स्कैच बनाया था… मेरे साथ ये हमेशा होता है…. कुछ शिद्दत से चाहूँ तो तुरंत मिल जाता है… तस्वीर मिल गयी…
एक तेरह चौदह साल की लड़की के लिए मीना कुमारी का क्या अर्थ था जो उसका स्कैच बना डाला…
वो है इश्क में डूबी नायिका का आकर्षण…
वो भी मिल गयी … अब लिखना है… उनके बारे में.. लिखना है??? मीना कुमारी लिखने के लिए नहीं गाने के लिए है…
शराब, इश्क और शायरी के लिए सदा चर्चा में रही मीना कुमारी… मज़हब क्या था नहीं जानना मुझे इश्क का एक ही मज़हब होता है…
बस मीना नाम सुनते ही याद आती है पाकीज़ा…
यही है वास्तविक इश्क… वास्तविक जीवन.. वास्तविक नायिका कि उसके जीवन के सारे किस्से उजागर होने के बाद भी लोगों की जुबां पर जो शब्द अटक कर रह जाता है वो है पाकीज़ा…. कुछ रूहें इतनी ही पाकीज़ा होती हैं कि जीवन के कोई दाग़ उनको छू तक नहीं पाते..
– माँ जीवन शैफाली