श्री हनुमान प्रकटोत्सव : पूजा विधि और व्रत कथा

प्रभु श्री राम के भक्त, संकट मोचन, महावीर, बजरंग बलि हनुमान की महिमा सबसे न्यारी है. सूरज को निगलना, पर्वत को उठाकर उड़ना, रावण की सोने की लंका को फूंकना कितने ही ऐसे असंभव लगने वाले कार्य हैं, जिन्हें श्री हनुमान ने कर दिखाया.

माता अंजनी के लाल और पिता पवन के पुत्र वीर हनुमान का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह तिथि इस वर्ष ३१ मार्च को होगी. आइये जानते हैं पवन पुत्र हनुमान के बारे में.

क्या है श्री हनुमान की जन्म कथा

हनुमान जी का जन्म वैसे तो दो तिथियों में मनाया जाता है- पहला चैत्र माह की पूर्णिमा को तो; दूसरी तिथि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है.

पौराणिक ग्रंथों में भी दोनों तिथियों का उल्लेख मिलता है, लेकिन एक तिथि को जन्मदिवस के रुप में तो; दूसरी को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रुप में मनाया जाता है. उनकी जयंती को लेकर दो कथाएं भी प्रचलित हैं.

चैत्र माह की पूर्णिमा को जन्मे श्री हनुमान

माना जाता है माता अंजनी के उदर से हनुमान जी पैदा हुए. उन्हें बड़ी जोर की भूख लगी हुई थी. इसलिये वे जन्म लेने के तुरंत बाद आकाश में उछले और सूर्य को फल समझ खाने की ओर दौड़े.

उसी दिन राहू भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिये आया हुआ था. लेकिन हनुमान जी को देखकर उन्होंने इसे दूसरा राहु समझ लिया. तभी इंद्र ने पवनपुत्र पर वज्र से प्रहार किया. जिससे उनकी ठोड़ी पर चोट लगी व उसमें टेढ़ापन आ गया. इसी कारण उनका नाम भी हनुमान पड़ा. इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस तिथि को हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है.

दीपावली को भी मनाई जाती है श्री हनुमान जयंती

वहीं दूसरी कथा माता सीता से हनुमान को मिले अमरता के वरदान से जुड़ी है. हुआ यूं कि एक बार माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी. तो हनुमान जी को यह देखकर जिज्ञासा जागी कि माता ऐसा क्यों कर रही हैं.

उनसे अपनी शंका को रोका न गया और माता से पूछ बैठे कि माता आप अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं?

माता सीता ने कहा कि इससे मेरे स्वामी श्री राम की आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है रामभक्त हनुमान ने सोचा जब माता सीता के चुटकी भर सिंदूर लगाने से प्रभु श्री राम का सौभाग्य और आयु बढ़ती है तो क्यों न पूरे शरीर पर ही सिंदूर लगा लूं.

उन्होंने ऐसा ही किया. इसके बाद माता सीता ने उनकी भक्ति और समर्पण को देखकर महावीर हनुमान को अमरता का वरदान दिया.

माना जाता है कि यह दिन दीपावली का दिन था. इसलिये इस दिन को भी हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है. सिंदूर चढ़ाने से बजरंग बलि के प्रसन्न होने का भी यही रहस्य है.

श्री हनुमान जयंती व्रत व पूजा विधि

व्रत रखने वाले व्रत की पूर्व रात्रि ब्रह्मचर्य का पालन करें व जमीन पर ही सोयें तो अच्छा रहता है. प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें, प्रभु श्रीराम, माता सीता एवं श्री हनुमान का स्मरण करें. फिर नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नान करें.

बजरंग बलि हनुमान की प्रतिमा की प्रतिष्ठा कर विधिपूर्वक पूजा करें और श्री हनुमान जी की आरती उतारें. इसके बाद हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ भी करें.

इस दिन श्री रामचरित मानस के सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का अखंड पाठ भी करवाया जा सकता है. प्रसाद के रुप में गुड़, भीगे या भुने हुए चने एवं बेसन के लड्डू रख सकते हैं.

पूजा सामग्री के लिये गैंदा, गुलाब, कनेर, सूरजमुखी आदि के लाल या पीले फूल, सिंदूर, केसरयुक्त चंदन, धूप-अगरबती, शुद्ध घी या चमेली के तेल का दीप आदि ले सकते हैं.

इस दिन हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढायें, तो उससे भी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं.

2018 में श्री हनुमान जयंती

हनुमान जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है जो कि वर्ष 2018 में 31 मार्च को शनिवार के दिन है.।

हनुमान जयंती तिथि – शनिवार, 31 – मार्च 2018

पूर्णिमा तिथि आरंभ – 19:35 (30 मार्च 2018)

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 18:06 (31 मार्च 2018)

– साभार संजीव पुंडीर

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