आने वाली पीढ़ियां और सदियां तुमको याद करेंगी मोदी

बीते लगभग चार साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के निर्णयों और उनसे हासिल हो चुके/ होने वाले परिणामों के आधार पर बिना झिझक कहा जा सकता है कि सदियों तक प्रधानमंत्री मोदी को भुलाया न जा सकेगा. अपनी उपरोक्त भविष्यवाणी के समर्थन में केवल दो उदाहरण –

पहला उदाहरण

नोटबन्दी के बाद शुरू हुई जांच पड़ताल के कठोर शिकंजे में फंसी लगभग 3 लाख फ़र्ज़ी (Shell) कम्पनियों का रजिस्ट्रेशन सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया था. उनके खाते सीज़ कर दिए गए थे.

सरकार ने उन कम्पनियों से जब सम्बन्धित दस्तावेज़ मांगे तो उनमें से केवल 60 हज़ार कम्पनियों के मालिकों ने कुछ दस्तावेज़ प्रस्तुत किये.

शेष कम्पनियों के मालिकों ने चुप्पी साध लेने में ही भलाई समझी क्योंकि मूलतः काले धन को सफेद करने तथा हवाला का धंधा चलाने के लिए खोली जाती रहीं इन कम्पनियों की सम्पत्ति और उनके खातों की रकम का स्पष्टीकरण देना उनके मालिकों के लिए सम्भव ही नहीं था.

अतः सामने आने पर सज़ा होने का भय सता रहा था. नतीजा यह निकला है कि अब तक हुई कार्रवाई में लगभग 37 हज़ार 500 करोड़ की राशि जो उन फ़र्ज़ी कम्पनियों के बेंक खातों में जमा थी, वो लावारिस घोषित हो चुकी है. मतलब सरकार जब्त कर चुकी है.

प्रधानमंत्री कार्यलय के अधिकारियों को आशा है कि यह आंकड़ा 3 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा.

बैंकों में जमा इस जब्त की गई नगद राशि के अलावा इन कम्पनियों के नाम पर दर्ज सम्पत्तियों (जो अब लावारिस हालत में हैं) की कीमत का आंकड़ा भी बहुत बड़ा होने की उम्मीद की जा रही है.

दूसरा उदाहरण

यह यूपीए शासन में बैंकों के क़र्ज़ के दम पर दिन दूनी रात चौगुनी गति से फली फूली और बढ़ी भूषण स्टील नाम की कम्पनी की सम्पत्तियों को बैंकों द्वारा कर्ज़ वसूली के लिए नीलाम किये जाने पर टाटा समूह ने 38 हज़ार करोड़ रूपये में खरीदा है.

भूषण स्टील समेत 12 कम्पनियां ऐसी थीं जिनकी बैंकों के डूब चुके कर्ज़ की राशि में 25% हिस्सेदारी थी. शेष 11 कम्पनियों की सम्पत्तियों की नीलामी के आदेश भी हो चुके हैं तथा कार्रवाई प्रारम्भ हो चुकी है.

इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने तक बैंकों का कर्ज हड़प कर बैठी अधिकांश कम्पनियों की सम्पत्ति नीलाम कर लगभग 5 से 6 लाख करोड़ की वसूली की तैयारी जोरशोर से शुरू हो चुकी है.

अतः कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष आज नोटबन्दी और नीरव मोदी/ विजय माल्या के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कीचड़ उछालने की चाहे जितनी कोशिश कर रहा हो, लेकिन इतिहास कभी झूठ नहीं बोलता. इसलिए आने वाली पीढ़ियां जब आज का इतिहास पढ़ेंगी तो तुमको याद करेंगी मोदी जी.

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