माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा, कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा

“माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा.
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा.”

रामचरित मानस के बालकांड से रामजन्म का वर्णन करने वाले छंदों की यह लाइनें बहुत ही रोचक हैं. यह पंक्तियां ऐसी हैं जिसमें एक मां भगवान से कह रही है कि तुम बालक बनकर शिशुलीला करो. इससे पहले की कथा के अनुसार माता कौशल्या जब अपने कक्ष में अकेली होती हैं तब उनके सामने भगवान प्रकट होते हैं.

“भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी.
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी.
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता.
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता.
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥”

मतलब भगवान अपने चतुर्भुज रुप में माता कौशल्या के सामने खड़े हैं. इसके बाद वह सारी कथा बताते हैं और पूछते हैं कि अब मैं क्या करुं? तब मां कौशल्या जो कहती हैं उसे उपर की पंक्तियों में मैंने लिखा है. मतलब एक स्त्री भगवान को आदेश देती है कि तुम शिशु रुप में आओ.

चतुर्भुज रुप का त्याग करो… छोटे हो जाओ, और छोटे बिल्कुल छोटे शिशु के रुप में आ जाओ. तत्पश्चात भगवान शिशु रुप धारण करते हैं और तब उनका जन्म होता है. शिशु रुप में रुदन की आवाज जब बाहर जाती है तब महाराज दशरथ को पता चलता है कि बालक का जन्म हुआ है.

“दशरथ पुत्र जन्म सुनि काना.”

धन्य है भारतीय नारी जो भगवान को मनुष्य बनना सीखाती है. बाकी जिन्हें संदेह है कि भगवान ने जन्म लिया या प्रकट हुये वह बस इतना जाने कि जो जन्म और मरण के बंधन से परे है वही भगवान है.

अर्थात वह प्रकट भी हो सकता है और जन्म भी ले सकता है. तभी तो खुद के प्रकट होने अथवा जन्म लेने के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण समय चुना भगवान ने,

“नौमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता.
मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक विश्रामा..”

ऐसे में जब सभी संयोग बनते हैं तभी भगवान का अवतरण होता है. तिथि, मास, पक्ष, दिन और काल का सुयोग ही भगवान को प्रकट करता है. बाकी राम तो हमेशा जन्म लेने के लिये आतुर बैठे हैं. बस उन्हें किसी दशरथ और कौशल्या का सानिध्य मिल जाय, राम आ जायेंगे.

बहरहाल, आप सबको राम जन्म अथवा प्राकट्य दिवस, रामनवमी की हार्दिक शुमवभकामनाएं.

– मीनाक्षी

 

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