राज्यसभा चुनाव से साबित : बसपा-निषाद पार्टी की राजनीतिक हत्या के ज़िम्मेदार अखिलेश

अखिलेश यादव की सपा है दो हत्याओं की गुनाहगार… यूपी राज्यसभा परिणामों ने ज़ुर्म साबित किया.

पहली राजनीतिक हत्या बसपा और बहन मायावती जी की… जिसके शूटर रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया.

जब राजा भैया ने सपा को यह ज़ाहिर कर दिया कि वह अखिलेश के साथ हैं लेकिन मायावती के साथ नहीं, तो अखिलेश ने राजा भैया का वोट जया बच्चन को देने और अपने एक सपा विधायक को बसपा के प्रत्याशी को वोट करने का काम क्यों नहीं किया?

जया बच्चन को ज़रूरत से एक वोट ज्यादा मिला और बसपा का प्रत्याशी एक वोट से हार गया.

एक वोट से हुई बसपा प्रत्याशी की हार को अखिलेश यादव और उनके रणनीतिकार न सिर्फ रोक सकते थे बल्कि तब की स्थिति में दूसरी वरीयता के वोट गिनती तक जाने से पहले ही बसपा प्रत्याशी को एक वोट से जिता भी सकते थे.

लेकिन ऐसा न हो सके… उसकी ज़मीन अखिलेश यादव की सपा ने गोरखपुर उपचुनाव में ही बना ली थी… जहां उन्होंने दूसरी राजनैतिक हत्या की.

दूसरी हत्या और उस हत्या का शूटर कौन?

यह दूसरी हत्या हुई ओबीसी वर्ग की राजनीति में यादवों के वर्चस्व को यूपी में चुनौती देने की संभावनाए दिखाती निषाद पार्टी और उसके मुखिया डॉक्टर संजय निषाद की.

इस राजनीतिक हत्या के शूटर रहे निषाद पार्टी के एकमात्र विधायक विजय मिश्रा.

गोरखपुर में निषाद पार्टी के मुखिया के बेटे को अपनी पार्टी के सिंबल पर सांसद बना कर, उत्तर प्रदेश की राजनीति में उसके एकमात्र विधायक विजय मिश्रा को भाजपा के हवाले कर दिया…

इस तरह उत्तर प्रदेश की राजनीति से निषाद पार्टी का निर्वाचित अस्तित्व समाप्त.

इस हत्या में निषाद पार्टी के मुखिया के बेटे और गोरखपुर उपचुनाव में सांसद बने प्रवीण निषाद समाजवादी शूटआउट के शिकार होकर घायल हैं.

उनके पिता निषादों की राजनीति की ज़मीन पर उत्तर प्रदेश में अपना ठिकाना बनाना चाहते थे जिसकी संभावना खत्म हुई. बेटा कुछ महीनों के लिए समाजवादी पार्टी का सांसद है… न कि निषाद पार्टी का.

और अंत में मुखबिरी :

उत्तर प्रदेश में अवसरवादी समाजी गिरोह की राजनैतिक हत्याओं के दौर में एक सुखद तथ्य का ध्यान धरिये… यूपी में बीजेपी बचाने के लिए जानी जाती है.

ऐसा उसके एकीकृत राष्ट्रवाद के साथ क्षेत्रीय राष्ट्रवाद को समन्वित रूप से साथ लेकर चलने के सांस्कृतिक-वैचारिक डीएनए के कारण संभव हो पाता है जो अंततः एकीकृत राष्ट्रवाद को ही स्थापित करता है, सभी वर्गों के प्रति समभाव के साथ. पूर्वोत्तर से लेकर जम्मू-कश्मीर इसके उदाहरण हैं.

याद करिये… जब बसपा की बहन मायावती की शारीरिक हत्या का प्रयास किया था समाजवादी मुखिया मुलायम सिंह यादव जी के समाजी शूटरों ने… उस वक्त मायावती जी की जान भाजपा ने बचाई.

श्री राम जी के प्रिय निषादराज तक भी यह बात पहुंचाइये : 2019 दूर नहीं, इसलिए ऐसे हत्याकांडों के ज़िम्मेदारों से दूरी में देर नहीं.

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