दिल्ली को अरविंद केजरीवाल जैसा मुख्यमंत्री देने के ज़िम्मेदार अन्ना हजारे एक बार फिर आंदोलन छेड़ने जा रहे हैं.
इस बार भी वे दिल्ली के रामलीला मैदान से अपना डेरा जमाएंगे. अंतर सिर्फ इतना है कि पिछली बार उनके निशाने पर केंद्र की कांग्रेस नीट यूपीए सरकार थी, जबकि अबकी बार मोदी सरकार है.
किसानों की आय दोगुनी करने की तैयारियों में जुटी मोदी सरकार के खिलाफ अन्ना का धरना किसानों के हक के लिए ठोस कदम की मांग को लेकर है.
शुक्रवार (23 मार्च) की सुबह से वे किसानों की सुनिश्चित आय, पेंशन, खेती के विकास के लिए ठोस नीतियों समेत कई मांगों को लेकर धरने पर बैठ रहे हैं.
सभी सुरक्षा पहलुओं की जांच और पर्याप्त व्यवस्था करने के बाद दिल्ली पुलिस ने अन्ना को रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन की अनुमति दे दी.
सुबह अन्ना और उनके समर्थक महाराष्ट्र सदन से सबसे पहले राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे. वह शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए शहीदी पार्क भी जाएंगे और फिर रामलीला मैदान में जमेंगे.
कुछ दिन पहले अन्ना हजारे ने केन्द्र सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा था कि इस सरकार ने सूचना के अधिकार कानून को कमजोर कर दिया है.
अन्ना ने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार के नियंत्रण में जो भी आयोग है जैसे कृषि मूल्य आयोग, चुनाव आयोग, नीति आयोग या इस तरह के अन्य आयोग, इनसे सरकार का नियंत्रण हटना चाहिए और उसे संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए.
उन्होंने कहा कि ऐसे किसान जिसके घर में किसान को कोई आय नहीं है उसे 60 साल बाद 5000 हजार रुपया पेंशन दो. संसद में किसान बिल को पास करो. क्योंकि हमारा संविधान सभी को जीने का अधिकार देता है.
उन्होंने कहा कि पिछली बार हम 16 दिनों तक सिर्फ पानी पर अनशन पर दिल्ली में बैठे थे और अंत में सरकार को झुकना पड़ा. कानून तो बन गया है लेकिन यह अब ठीक से काम नहीं कर रहा है. लोगों को सूचनाएं नहीं मिल रही हैं.