सपा-बसपा के गठबंधन की आधिकारिक घोषणा अभी भले न हुई हो, लेकिन राजनीतिक तौर पर ये दोनों पार्टियां नजदीक आ चुकी हैं.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पहले से ही सपा के साथ है. ऐसे में भाजपा के खिलाफ इन तीनों को एक साथ देखा जा रहा है.
इसीलिये आगे आने वाले कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को मीडिया गठबंधन की अग्नि परीक्षा के तौर पर बता रहा है.
लेकिन मेरा मानना है कि गठबंधन की अग्नि परीक्षा अभी कैराना से पहले होने वाले राज्यसभा के चुनाव ही हैं.
उत्तर प्रदेश की दस राज्यसभा सीटों के लिये होने वाले चुनाव में आठ भाजपा और एक सपा के पास स्पष्ट रुप से जाती हुई दिख रही है.
इस लिहाज से असली लड़ाई दसवीं सीट के लिये ही होनी है जिसके लिये बसपा के भीम राव अंबेडकर उम्मीदवार हैं.
राज्यसभा में जाने के लिये एक सदस्य को 37 विधायकों के वोटों की आवश्यकता होगी. अत: नंबर के हिसाब से यह लड़ाई अभी भी गठबंधन के पाले में है.
क्योंकि एक सीट सुरक्षित करने के बाद बचे सपा के 9 विधायक, बसपा के 19, कांग्रेस के 7, आरएलडी का एक तथा राजा भैया तथा उनके सहयोगी विनोद सरोज को जोड़ दिया जाय तो यह संख्या 38 हो जाती है.
लेकिन परेशानी वाली बात यह है कि आज हाईकोर्ट ने बसपा के मुख्तार अंसारी और हरिओम यादव के चुनाव में वोट देने की छूट पर रोक लगा दी है. ऐसे में यह संख्या 36 पर आ गयी है.
दूसरी ओर राज्यसभा की आठ सीटें सुरक्षित करने के बाद भाजपा के पास 15 वोट बचेंगे. अपना दल के 9 तथा सुभासपा के 4 के साथ निषाद पार्टी के विजय मिश्र तथा अमनमणि त्रिपाठी और नरेश अग्रवाल के पुत्र नितिन अग्रवाल को जोड़कर भी यह संख्या 31 तक ही पहुंचती है. इस लिहाज से आवश्यक संख्या से छह वोट फिर भी कम रह जायेंगे.
लेकिन राजनीति में ज़रूरी नहीं है कि जो दिखता हो वही सही भी हो. मतलब अगर गठबंधन की ओर से दो लोगों ने भी क्रॉस वोटिंग की तो खेल बिगड़ सकता है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की डिनर पार्टी में कुछ लोगों की अनुपस्थिति से इसके संकेत मिलने भी लगे हैं. शायद इसीलिये मायावती ने आज अखिलेश यादव से सपा के उन विधायकों की सूची मांगी है जो उनके उम्मीदवार को वोट देने वाले हैं.
गठबंधन में अगर सभी संतुष्ट रहे तब तो क्रॉस वोटिंग की गुंजाईश ही नहीं बचती है. लेकिन अगर तनिक भी क्रॉस वोटिंग हुई तो पहले से ही परेशानी के मुहाने पर खड़े गठबंधन को झटका लग सकता है.
साथ ही अगर क्रॉस वोटिंग सपा की ओर से हुई तब यह राज्यसभा का चुनाव गठबंधन पर ग्रहण भी लगा सकता है. इसलिये कैराना उपचुनाव से पहले ही यह राज्यसभा का चुनाव ही गठबंधन की असल अग्नि परीक्षा है.