ब्रिटिश न्यूज़ चैनल Channel 4 News ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर के कल ही दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था. उस स्टिंग ऑपरेशन के वीडियो का लिंक मैंने कल रात ही कुछ मित्रों को वॉट्सऐप पर भेजा था.
आज केन्द्र सरकार के कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के उस स्टिंग ऑपरेशन के उजागर होने के बाद कांग्रेस से जवाब भी मांगा.
दरअसल उस ब्रिटिश न्यूज़ चैनल ने कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कम्पनी का स्टिंग ऑपरेशन किया है जो हर तरह का हथकण्डा अपना कर किसी पार्टी को चुनाव जिताने का ठेका लेती है.
इसके बारे में पिछले वर्ष अप्रैल 2017 ही से भारतीय अखबारों में खबरें छप रही हैं कि उसने भारत में कांग्रेस को चुनाव जिताने का ठेका लिया है.
19 जुलाई 2017 को कैम्ब्रिज एनालिटिका के CEO एलेक्जेंडर निक्स के भारत आकर कांग्रेस और यूपीए के बड़े नेताओं से मुलाकात करने की खबरें भी अखबारों में छपी थीं.
ब्रिटिश न्यूज़ चैनल ने भी अपने स्टिंग ऑपरेशन की रिपोर्ट में जिन देशों में कैम्ब्रिज एनालिटिका के सक्रिय होने की बात उजागर की है उन देशों में भारत का नाम भी शामिल है.
दरअसल वर्तमान युग में अपने चुनाव प्रचार के लिए किसी कम्पनी की मदद लेना कोई गुनाह नहीं है.
लेकिन ब्रिटिश न्यूज़ चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में कैम्ब्रिज एनालिटिका के निचले स्तर के अधिकारियों से लेकर कम्पनी के CEO एलेक्जेंडर निक्स तक यह स्वीकारते हुए दिखे हैं कि चुनाव जीतने के लिए वो सोशल मीडिया के माध्यम से झूठी खबरें, अफवाह फैलाकर प्रतिद्वंदी नेता और पार्टी पर कीचड़ उछालकर उसकी छवि तार-तार करने से लेकर भावनाओं को भड़काने के लिए समाज को विभाजित कर के सड़कों पर खूनी संघर्ष तक करवाते हैं.
इतना ही नहीं, नेताओं के पास वेश्याएं भेजकर उनका स्टिंग कर के उन्हें ब्लैकमेल भी करते हैं तथा सोशल मीडिया साइट्स से सब्सक्राइबर्स का डाटा चुराकर उसे अपने कैंडिडेट के प्रचार के लिए इस्तेमाल करते हैं. झूठे आरोपों से सज्जित भाषण नेताओं के लिए तैयार करते हैं.
नाइजीरिया, केन्या और चेक रिपब्लिक आदि देशों में अपने ऐसे हथकण्डों से उन्होंने चुनाव जिताये हैं.
ब्रिटिश न्यूज़ चैनल द्वारा किये गए इस स्टिंग के बाद याद करिये कि किस तरह गुजरात चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान गुजरात को कितने खतरनाक और भयानक जातीय तनाव के ज्वालामुखी पर खड़ा कर दिया गया था.
यही नहीं, पिछले कुछ समय से सिर्फ और सिर्फ झूठी खबर उड़ाने फैलाने वाली The Wire, The Quint सरीखी दर्जन भर वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनल्स की की झड़ी लग गयी है.
इन वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनल्स पर वो कुख्यात पत्रकार काम कर रहे हैं जो NDTV, IBN7 सरीखे न्यूज़ चैनलों पर लाखों रुपये महीने के वेतन पर काम करते थे.
याद करिये कि गुजरात चुनाव से पहले जय शाह, जस्टिस लोया और राफेल डील को लेकर इन वेबसाइट्स, यूट्यूब चैनल्स ने सरासर झूठी खबरें फैलायीं थीं और वो आज भी इसी काम में जुटे हुए हैं.
याद यह भी करिये कि किस तरह गुजरात चुनाव अभियान के दौरान राहुल गांधी ने झूठे आरोपों की झड़ी लगा दी थी.
कर्नाटक में भी लिंगायतों को हिन्दू धर्म से अलग करने की कांग्रेसी सरकार की घोषणा के बाद वहां लिंगायत और वीर शैव समुदाय आमने सामने आकर सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं और एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं.
कांग्रेस ने रविशंकर प्रसाद के आरोपों के जवाब में यह कहा है कि हमारा कैम्ब्रिज एनालिटिका से कोई लेना देना नहीं है और वो हमारे लिए कोई काम नहीं कर रही है. इसके बजाय कैम्ब्रिज एनालिटिका की भारतीय पार्टनर OBI ने 2009 में गाज़ियाबाद में राजनाथ सिंह के चुनाव में काम किया था और 2010 में बिहार में OBI ने भाजपा-जदयू गठबन्धन के लिए काम किया था.
कांग्रेस की सफाई के जवाब में OBI ने साफ किया है कि हम स्वतन्त्र रूप से कार्य करते हैं. जब कैम्ब्रिज एनालिटिका को हमारी जरूरत होती है तब वो हमसे काम लेती है. 2009 में राजनाथ सिंह और 2010 में जदयू-भाजपा गठबन्धन के लिए हमने स्वतन्त्र रूप से काम किया था.
लेकिन कांग्रेस के आरोप और OBI की सफाई से इतर यह सच तो पूरा देश जानता है कि 2009 और 2010 तक भारत में सोशल मीडिया शैशवकाल था और वह कुछ महानगरों तक ही सीमित था. जबकि कैम्ब्रिज एनालिटिका का मुख्य हथियार ही सोशल मीडिया है. वह स्वयं भी यह दावा करती है.
सच यह भी है कि 2009 में गाज़ियाबाद में राजनाथ सिंह के चुनाव में तथा 2010 में बिहार विधानसभा चुनाव किसी भी प्रकार के धार्मिक/ जातीय/ वर्गीय संघर्ष और तनाव से पूरी तरह मुक्त वातावरण में हुए थे.
जबकि 4 महीने पहले हुए गुजरात चुनाव में जातीय संघर्ष का तनाव अपने चरम पर था. डेढ़-दो महीने बाद होने जा रहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक की कांग्रेसी सरकार की घोषणा के कारण आजकल कर्नाटक की सड़कों पर लिंगायतों वीर शैवों में हिंसक संघर्ष शुरू हो चुका है.
अतः कैम्ब्रिज एनालिटिका के कदमों की आहट गुजरात में सुने जाने के बाद अब कर्नाटक में सुनाई दे रही है. यदि हम सावधान नहीं हुए तो कैम्ब्रिज एनालिटिका की खूनी चुनावी रणनीति 2019 के चुनावों तक कितनी लाशों को रौंदकर कांग्रेसी जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी, यह ईश्वर ही जानता है.
ब्रिटिश न्यूज़ चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन – Cambridge Analytica Uncovered: Secret filming reveals election tricks
कैम्ब्रिज एनालिटिका की रणनीतिक कृपा का कमाल… केन्या के आम चुनाव में खूनी संघर्ष की गवाही देती है यह खबर- Violence Flares and Tensions Rise After Kenya Presidential Vote
कैम्ब्रिज एनालिटिका की रणनीतिक कृपा का कमाल… नाइजीरिया के आम चुनाव में खूनी संघर्ष की गवाही देती है यह खबर- Nigeria presidential poll is marred by voting irregularities and violence