जिनके लिए ये दुनिया आभासी नहीं, उनके लिए ‘आभा-सी’ ही रहने दो…
वे प्राकृतिक लड़कियां थीं ऐसी जो बहुतायत में मिलती थीं नदियों सी बलखाती, लहकती, बड़ी बड़ी चट्टानों को पार कर जाती जंगली फूल थीं जहाँ दिल चाहे उग आती पहाड़ों पर, रेगिस्तान में… शहर से दूर की कच्ची सड़क पर उड़ती धूल थीं स्वच्छंद बेबाक… हमेशा हँसते रहने वाली सच्ची मुच्ची की लड़कियां जिनका बचपन … Continue reading जिनके लिए ये दुनिया आभासी नहीं, उनके लिए ‘आभा-सी’ ही रहने दो…
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