- मनमोहन शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
भले ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला राष्ट्रभक्ति और देशप्रेम के लम्बे-लम्बे दावे आज तक करते आ रहे हैं.
मगर उनका असली चेहरा यह फोटो ज़ाहिर करता है जिसमें वह कुख्यात आतंकवादी मकबूल बट के साथ पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद के पास नजर आते हैं.
यहां यह तथ्य सर्वविदित है कि जब डॉ फारूक अब्दुल्ला ब्रिटेन में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तो उनका सम्पर्क पाकिस्तानी एजेंटों से हुआ जोकि वहां पर कश्मीर लिबरेशन फ्रंट नामक एक संगठन पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई की सहायता से चला रहे थे.
इस एजेंसी का काम भारतीय कश्मीर में सशस्त्र युद्ध छेड़कर उसे पाकिस्तान में शामिल करना था.
इस संगठन द्वारा बर्मिंघम में भारत के एक काउंसिल जनरल रविन्द्र महात्रे का अपहरण करके उसकी निर्मम हत्या 1984 में कर दी थी.
जब ब्रिटिश पुलिस ने इसके हत्यारों को गिरफ्तार करना चाहा तो मकबूल बट और अमानुल्ला भागकर पाकिस्तान चले आए.
मकबूल बट ने बारामूला में भारतीय गुप्तचर विभाग के एक इंस्पेक्टर अमरचंद की निर्मम हत्या सितम्बर, 1966 में की थी.
1968 में मकबूल बट को गिरफ्तार करके श्रीनगर जेल में बंद किया गया था. यहां से वह फरार होकर पाकिस्तान भाग गया था.
बाद में मकबूल बट को गिरफ्तार कर लिया गया और उस पर 1989 में जम्मू-कश्मीर के एक जज नीलकंठ गंजू की हत्या करने का भी आरोप था. इस पाकिस्तानी एजेंट को तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया.
सवाल यह होता है कि देशभक्ति का नकाब ओढ़ने वाले फारूक अब्दुल्ला का इस पाकिस्तानी एजेंट से क्या रिश्ता था और पाक अधिकृत कश्मीर में क्या करने गए थे?
वैसे शेख अब्दुल्ला परिवार शुरू से ही देशद्रोही रहा है. फारूक अब्दुल्ला के छोटे भाई तारेक अब्दुल्ला पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किए गए थे.
बाद में इंदिरा गांधी ने उन्हें पुनः भारत की नागरिकता प्रदान कर दी और शेख अब्दुल्ला के शासनकाल में उन्हें जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
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