नई दिल्ली. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी और विपक्षी दल यानी जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर काँग्रेस के बीच होड़ चल रही है.
पहले टीडीपी ने केंद्र से नाराज़गी दिखाते हुए अपने मंत्रियों से इस्तीफे दिलवा दिए, हालांकि कहा कि पार्टी एनडीए में बनी रहेगी.
इस पर वाईएसआर कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया तो अपने को राज्य का हितैषी बताने के टीडीपी ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर दिया.
सोमवार (19 मार्च 2018) को दोनों पार्टियों की ओर से लोकसभा में फिर से नोटिस पेश किया जाएगा. हालांकि उसको स्वीकार करना है या नहीं, यह निर्णय लोकसभा स्पीकर करेंगी.
वाईएसआर कांग्रेस के वाईवी सुब्बा रेड्डी ने सोमवार की कार्यवाही के संशोधित कार्यक्रम में अविश्वास प्रस्ताव के अपने नोटिस को शामिल किए जाने के लिए कहा है. रेड्डी ने इस बाबत लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखा है. टीडीपी ने भी अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे रखा है.
इससे पहले शुक्रवार (16 मार्च 2018) को नोटिस पेश किया गया था तो लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि सदन में इस समय ‘अव्यवस्था’ (कार्यवाही में गतिरोध) है इसलिए इसको स्वीकार नहीं किया जा रहा है.
दोनों दल अब अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार कराने और जरूरी 50 सांसदों का समर्थन जुटाने में लगे हैं. आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर छिड़ी नाक की लड़ाई में टीडीपी को केंद्र में सत्ता की भागीदारी और एनडीए का साथ छोड़ना पड़ा है.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि इसके लिए अभी तक लोकसभा प्रशासन का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. सोमवार को भी अविश्वास प्रस्तावों के नोटिस पर कोई फैसला होने की उम्मीद कम है.
वहीं सरकार ने अपने बहुमत का भरोसा जता दिया है. कहा है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव सदन में पेश भी हुआ तो वह उसे लोकसभा में परास्त कर देगी. 539 सदस्यों वाली लोकसभा में भाजपा के पास खुद के 274 सदस्य हैं, जबकि बहुमत के लिए 270 सदस्यों की ही जरूरत है.