सार्वजनिकता में भी बनी रहे गोपनीयता

सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक मर्लिन मुनरो ने आत्महत्या की, और मनोविश्लेषक इस बात पर विचार करते हैं कि उसने ऐसा क्यों किया. वह बहुत सुंदर स्त्री थी, सर्वाधिक सफल. अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी भी उसके प्रेम में थे, और उसके हजारों प्रशंसक थे. इससे और अधिक की कोई कामना नहीं कर सकता था. उसके पास सब कुछ था.

लेकिन वह प्रसिद्ध थी और यह वह जानती थी. उसके प्रेम कक्ष में जब राष्ट्रपति कैनेडी गए थे उसने श्रीमान राष्ट्रपति कहा जैसे कि वह एक संस्था से प्रेम कर रही थी ना कि किसी व्यक्ति से.

वह एक संस्थान थी. धीरे-धीरे उसे यह पता चला कि उसके पास कुछ भी निजी तौर पर नहीं है.

एक बार किसी ने उससे पूछा–उसने किसी कैलेंडर के लिए नग्न चित्र दिए थे और किसी ने पूछा, ‘जब तुम कैलेंडर के लिए नग्न चित्र दे रही थी तब तुम्हें कुछ हुआ?’ वह बोली, “हां, मेरे पास कुछ चल रहा था. रेडियो.’

उघाड़ी हुई, नग्न, कुछ भी व्यक्तिगत नहीं. मुझे ऐसा लगता है कि उसने इसलिए आत्महत्या की क्योंकि एक मात्र यह चीज थी जो वह व्यक्तिगत कर सकती थी. सब कुछ सार्वजनिक था, यह एक मात्र चीज बची थी जो वह स्वयं अकेले कर सकती थी, कुछ पूरी तरह से अपनी ओर गोपनीय. सार्वजनिक लोग हमेशा आत्महत्या की तरफ जाते हैं क्योंकि सिर्फ आत्महत्या के द्वारा वह इस बात की झलक पा सकते हैं कि वे कौन हैं.

जो कुछ भी सुंदर है वह आंतरिक है, और आंतरिक का मतलब होता है गोपनीय. क्या तुमने कभी देखा है जब स्त्री प्रेम में संलग्न होती है? वे हमेशा आंखें बंद कर लेती हैं. वे कुछ जानती हैं.

अंधेरे में बाकि सभी चीजें खो जाती है क्योंकि तुम देख नहीं सकते. सिर्फ तुम और होश वहां बचते है. इसी कारण अच्छे रेस्टोरेंट में प्रकाश कम रखा जाता है; तेज प्रकाश को टाला जाता है.

मोमबत्ती की रोशनी होती है. जहां कहीं मोमबत्ती से प्रकाशित रेस्टोरेंट होता है वहां स्वाद अधिक होता है. तुम ठीक से खाते हो और तुम अधिक स्वाद लेते हो. सुगंध तुम्हें घेर लेती है. यदि वहां तेज प्रकाश है तो स्वाद नहीं होगा. आंखें हर चीज को सार्वजनिक बना देती है.

भीतर जाओ ताकि समृद्ध होओ और गरीब ना बने रहो. और हमेशा याद रखो कि जब कभी तुम थक जाते हो, ऊर्जा का स्रोत भीतर है. अपनी आंखें बंद कर लो और भीतर जाओ.

बाहरी रिश्ते बनाओ; निश्चित ही वे बाहरी रिश्ते होंगे- तुम दुनिया में रहोगे, व्यावसायिक संबंध भी होंगे- लेकिन वे सब कुछ नहीं हो जाने चाहिए. खेल के वे भी हिस्से हैं, लेकिन वहां कुछ बहुत ही गोपनीय और निजी भी हों, कुछ जिसे तुम स्वयं का अपना कह सको. भीतरी रिश्ता भी बनाओ.

मर्लिन मुनरो में यही कमी रह गई. वह सार्वजनिक स्त्री थी– सफल, पर पूरी तरह से असफल. वह अपनी सफलता और प्रसिद्धि के शिखर पर थी जब उसने आत्महत्या की. उसके पास वह सब था जिसके लिए जीया जा सके, तुम उससे अधिक प्रसिद्धी, अधिक सफलता, अधिक करिश्मा, अधिक सुंदरता, अधिक स्वास्थ्य की कल्पना भी नहीं कर सकते. सब कुछ उसके पास था, उससे अधिक कुछ नहीं हो सकता था, और तब भी कुछ कमी थी. भीतर, अंतस खाली था.

– ओशो

Comments

comments

LEAVE A REPLY