आदमी देखकर मज़बूत या कमज़ोर होती ‘क़ानूनपालिका’

जनाब राहुल गाँधी ने कुछ दिनों पहले एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा ने अपने पिता राजीव गाँधी के हत्यारों को पूरी तरह से माफ़ कर दिया है.

उनके इस बड़े दिल की खूब तारीफ हुई. उनकी छवि भी खूब चमकी.

खैर…

राजीव गाँधी की हत्या के आरोप में कई लोग जेल में बंद हैं. मुख्य हत्यारा सिवरासन पहले ही मारा जा चुका है. लेकिन राजीव गाँधी की हत्या के लिए षड्यंत्र रचने के आरोप में कई तमिल और श्रीलंका के नागरिक अभी जेल में हैं.

इन्ही लोगों में एक पेरारिवलन भी हैं.

उन्हें सीबीआई ने जून 1991 में गिरफ्तार किया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने राजीव गाँधी को मारने के लिए बने बम की बैटरी खरीदी थी.

घटना के समय पेरारिवलन की उम्र महज 19 साल की थी.

1999 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई जो 2014 में उम्र कैद में बदल गयी.

पेरारिवलन के खिलाफ सबसे बड़ा सबूत उनका खुद का कंफ़ेशनल स्टेटमेंट था. जिसे सीबीआई ने रिकॉर्ड किया था और कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया था.

पिछले साल सीबीआई की जांच टीम में शामिल त्यागराजन ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ लेकर एक हलफनामा दिया जिसमें उन्होने कहा कि पेरारिवलन के कंफ़ेशनल स्टेटमेंट में जान बूझकर कुछ बातें हटा दी गयी थी. जिसमें प्रमुख बात थी कि पेरारिवलन ने जब 9 वोल्ट की बैटरी खरीदी तो उन्हें मालूम नहीं था उसका क्या उपयोग होने वाला है.

[Part of Perarivalan’s confession was omitted, ex-CBI officer tells apex court]

पेरारिवलन का षडयंत्रकारियों से कोई सम्बन्ध नहीं था, केवल उनमें से किसी के कहने से उन्होंने बैटरी खरीदकर उन्हें दी थी.

इसके पक्ष में त्यागराजन ने सिवरासन के LTTE चीफ प्रभाकरन को भेजे एक सन्देश का भी जिक्र किया जिसमे सिवरासन ने कहा था कि राजीव गाँधी को मारने के प्लान की जानकारी सिर्फ उसे और दो अन्य लोगों को थी जिसमें एक धनु थी.

सीबीआई के जाँच अधिकारी त्यागराजन के इस हलफनामे के बाद पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डालकर खुद को रिहा करने की अपील की जो कल ख़ारिज हो गयी.

उसकी सज़ा बरक़रार है.

पिछले 27 साल से पेरारिवलन जेल में बंद हैं. सिर्फ एक बार वो भी पिछले साल तमिलनाडु सरकार के हस्तक्षेप, त्यागराजन के हलफनामे के बाद अपने बीमार पिता को देखने के लिए पेरारिवलन को एक महीने का पैरोल मिला.

[‘I am going home’]

सीबीआई का यही कहना है कि पेरारिवलन षड्यंत्र में शामिल था. उसके एक जाँच अधिकारी का खुद का बयान है कि उसे जानबूझकर फंसाया गया. कोर्ट में उसके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया.

ऐसे कहा जाता है कि भारत में कानून व्यवस्था लचर हो चुकी है. लेकिन इस मामले के कानून कितना सख्त हो सकता है पेरारिवलन इसका जीवंत उदाहरण है.

बम्बई बम कांड में संजय दत्त जेल की सज़ा काटकर रिहा भी हो गए. पांच साल की सज़ा महज एक साल में पूरी हो गयी जिसमें अधिकतर समय उन्होंने पैरोल में बिताया.

उसी आरोप में एक 70 साल की बुजुर्ग महिला अपराधी घोषित कर जेल में डाली गयी थीं. वो उसी जेल में हैं. उनके भी घर में हथियार RDX रखा गया था. अगर उन्हें कड़ी सजा मिली तो संजय दत्त के साथ सहानुभूति का व्यवहार हुआ.

कानून में कमी नहीं है लेकिन जिन्हें उनका पालन सुनिश्चित करना है उनके इरादे आदमी देखकर मज़बूत या कमज़ोर हो जाते हैं.

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