आयुर्वेद आशीर्वाद : आम्बा हल्दी

आज युवा वर्ग शायद ही आंबाहल्दी को जानता हो पर हमारे बुजुर्ग इसे भली भांति पहचानते थे, और इसके औषधीय गुणों का लाभ भी उठाते थे.

आंबाहल्दी नाम के साथ आम का नाम जुड़ा है… इस हल्दी में कच्चे आम जैसी गन्ध आती है…..
“आम्रवत गंध अस्ति यस्मिन कंदे” अर्थात.. जिस कन्द में आम जैसी गंध हो. इसीलिए इसे आमा हल्दी या आम्रगन्धि हरिद्रा कहा जाता है.

इस प्रकार की हल्दी भारत के प्रायः सभी प्रान्तों में विशेष रूप से बंगाल, कोंकण, गुजरात और तमिलनाडु में उत्पन्न होती है.

आंबा हल्दी के पौधे भी हल्दी की ही तरह होते हैं, दोनों में अंतर यह है कि आंबा हल्दी के पत्ते लम्बे तथा नुकीले होते हैं.

आंबा हल्दी की गांठ बड़ी और भीतर से हल्की पीली लगभग सफेद होती है, आंबा हल्दी में सिकुड़न तथा झुर्रियां नहीं होती हैं.

सुगन्धित होने के कारण इसे चटनी आदि बनाने में उपयोग में लाते हैं. मिठाइयों आदि में भी आम की गन्ध लाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है.

आमा हल्दी शीतल, मधुर, पित्तशामक है. यह वायु को शांत करती है, पाचक है, पथरी को तोड़ने वाली, पेशाब की रुकावट को खत्म करने वाली, घाव और चोट में लाभ करने वाली, मंजन करने से मुंह के रोगों को खत्म करने वाली है. यह खांसी, सांस और हिचकी में लाभकारी होती है.

सुगन्धित होने के कारण इसे चटनी आदि बनाने में उपयोग में लाते हैं. मिठाइयों आदि में भी आम की गन्ध लाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है.
3 वर्ष तक के बच्चों को आंबा हल्दी की घुट्टी दी जाती है, जिससे उनका पेट साफ रहता है.

आम्बा हल्दी अमृत के समान है, इसका लेप लगाने से बड़े से बड़ा दर्द मिट जाता है.

आम्बा हल्दी या आमा हल्दी : किचन गार्डन में उगाइये सफेद हल्दी भी

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