तुझे जीते जीते मुझे लिखा मैंने
मुझे जीते जीते तुझे लिखा मैंने
कौन सी वो तेरी बात है
जिस पे नहीं लिखी कविता मैंने
तेरा मौन लिखा
तेरा एक एक हर्फ़ लिखा
तेरी मोहब्बत लिखी
तेरा ग़ुस्सा लिखा
तेरा मिलन लिखा
तेरा विरह लिखा
तू तू लिखा
मैं मैं लिखा
कभी कुछ भी नहीं लिखा
कभी सब कुछ लिखा
तेरा आना लिखा
तेरा जाना लिखा
कुरबत लिखी
बसेरा लिखा
कभी चाँद का डेरा लिखा
कभी संदेश
कभी ख़ामोशी लिखा
तू जानता है सब
मैंने क्या क्या लिखा
यह तूने क्या किया
तूने ख़्वाब लिखा
मैंने हक़ीक़त लिखी
तू आ ज़रा
कभी मिल मुझे
तू हक़ीक़त को जी
मैं ख़्वाब लिखूँ
मेरे रहबर, मेरे क़ातिल, मेरे मुखबिर
मेरे हमदर्द, मेरे हमनवाँ
तू कह तो सही
मैं जाँ लिखूँ
जाँनिसार लिखूँ
खुदा लिखूँ, खुदाई लिखूँ
क्या है जो मैं न लिखूँ
सनम लिखूँ हरजाई लिखूँ
वफ़ा लिखूँ सौदाई लिखूँ
तेरे वास्ते मैं सब लिखूँ
तेरे सदके मैं सब लिखूँ
तू नज़र तो कर ज़रा मेरी तरफ़
मैं सलाम लिखूँ दुआ लिखूँ
सदक़ा लिखूँ हया लिखूँ
तू देख ज़रा
तू मिल ज़रा ……..
तू आ ज़रा
नज़र तो मिला ज़रा ………