आपने अक्सर टीवी चैनलों पर ऐसे ज्योतिष कार्यक्रम देखे होंगे जिसमें कोई भी लाइव कॉल करके और अपना जन्म-विवरण बताकर अपनी समस्याओं का समाधान पूछता है.
ज्योतिष महाराज सामने रखे लैपटॉप में जन्म-विवरण भरते हैं, कुंडली सामने आती है और वो बताना शुरू कर देते हैं और लगभग एक मिनट में ही उसके बारे में एक-दो बातें बताकर फिर उन समस्याओं का समाधान भी बता देतें हैं. चमत्कृत लोग उनके यशोगान में लग जाते हैं.
यहाँ प्रश्न ये है कि कुंडली देखकर क्या इतनी जल्दी कुछ बताया जा सकता है? मैं कहूँगा कि जितनी अवधि ये ज्योतिष लेते हैं उसमें जन्म राशि, जन्म-लग्न, मांगलिक है कि नहीं, साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है कि नहीं, कुंडली में कालसर्प योग है कि नहीं और कौन से ग्रह उच्च के, कौन नीच के और कौन स्वराशि के हैं से अधिक कुछ भी बताना असंभव है.
कोई अगर इसके विस्तार में जाना चाहे तो वो भी इस अल्प-अवधि में संभव नहीं है क्योंकि कोई ग्रह किसी राशि मात्र में होने से ही उच्च-नीच या मूल-त्रिकोण का नहीं हो जाता क्योंकि ऐसा होने के लिये उसे डिग्री की शर्त भी पूरी करनी होगी और ऐसा ही मांगलिक के साथ भी है क्योंकि मांगलिक दोष भी कई और दूसरी बातों पर निर्भर करता है.
मान लीजिये मेरे सामने कोई कुंडली आती है और मुझे दस से पन्द्रह मिनट उस पर देना है तो भी उस अवधि में केवल कुछ बातें ही बताई जा सकती और वो भी ठीक-ठीक नहीं. उदाहरण के लिये किसी की कुंडली में पंचम और सप्तम का आपस में परिवर्तन है या फिर पंचमेश सप्तम में और सप्तमेश पंचम में बैठा है तो हम ये कह सकतें हैं कि जातक की कुंडली में प्रेम-विवाह या फिर जान-पहचान में विवाह होने का योग है पर ये योग भी हर कुंडली में सही ही हो ये आवश्यक नहीं है क्योंकि हो सकता है कुंडली में कुछ ऐसे योग भी हों जो इसे होने देने में बाधक हैं और जिसे उस दस से पन्द्रह मिनट की अल्प-अवधि में देखा जाना संभव नहीं है.
अब प्रश्न है कि किसी की कुंडली देखने के लिये किसी ज्योतिर्विद को कितना समय चाहिये? तो इसका उत्तर है शायद पूरा जीवन और शायद एक से अधिक जन्म क्योंकि ज्योतिष में मुख्य लग्न कुंडली के अलावा कई वर्ग कुण्डलियाँ भी होतीं हैं जैसे पत्नी के लिए नवमांश का, रोजगार के लिये दशमांश का और संतान के लिये सप्तमांश का प्रयोग किया जाता है.
यानि लग्न कुंडली से रोजगार के बारे में आप जो फलित करेंगें हो सकता है वैसा न हो क्योंकि दशमांश कुछ और दिखा रहा है. ये भी हो सकता है कि किसी प्रबल योग के रहते हुये भी आपको उसका फल न मिले क्योंकि आपकी जिंदगी में वैसी अनुकूल दशा कभी आई ही न हो.
मान लीजिये कि आपकी लग्न कुंडली में कोई ग्रह उच्च का है पर वो नवमांश में नीच का हो गया है तो फलित सूत्रों के अनुसार वो ग्रह अपनी उच्च राशि का फलित नहीं करेगा. इसी तरह इसका विपरीत भी है. कोई ग्रह वक्री हो गया तो उसके पूरे फल ही बदल जायेंगे.
शनि की साढ़े-साती और ढैय्या के साथ भी यही है क्योंकि अपने काल में वो अपने नक्षत्र-भ्रमण, लग्न, लग्नेश आदि के साथ अपने संबंधों के आधार पर फलित करेगा.
सबसे बड़ी बात ये है कि किसी भी कुंडली की विवेचना उस जातक की पृष्ठभूमि जाने बिना किया जाना असंभव है क्योंकि अव्वल तो ये दावा ही कोई नहीं कर सकता है कि ज्योतिष के हाथ में जिसकी कुंडली है वो लड़का है कि लड़की है. परिस्थिति और देश-काल फलित को सबसे अधिक प्रभावित करतें हैं.
इसे एक छोटे उदाहरण से समझिये. मान लीजिये किसी के लग्न और लग्नेश पर चन्द्र और शुक्र जैसे ग्रहों के प्रभाव को देखकर आपने कह दिया कि जातिका गौर-वर्ण की है और अगर कि वो कन्या अफ्रीका के किसी देश से हुई तो फिर आपका फलित व्यर्थ हो जायेगा क्योंकि आपने कुंडली की व्याख्या करते हुये देश-काल का ध्यान नहीं रखा.
मैं ज्योतिष का विद्यार्थी रहा हूँ. मेरी नौकरी में कई बार प्रमोशन के रिजल्ट और ट्रान्सफर होते रहे और मैंने उन सब तारीखों की गोचर-स्थिति आदि का अध्ययन किया पर आज तक मुझे उन सबमें कुछ भी वैसी साम्यता नहीं दिखी जिसके आधार पर मैं ये कह सकूं कि हाँ,इस ग्रह या नक्षत्र-विशेष के इस विशेष स्थिति में आने से मेरा प्रमोशन या ट्रान्सफर होता है.
मैंने मेरी और मेरी धर्म-पत्नी की कुंडली पर विवाह-काल निर्धारण के सूत्र लागू किये और हम दोनों की ही कुंडली में वो सूत्र लगभग शत-प्रतिशत सही थे पर उन्हीं सूत्रों को मैंने और दूसरे जोड़ों पर आजमाया तो परिणाम निराशाजनक थे.
इतना लिखने का अर्थ ये है कि लगभग चार लाख से अधिक सूत्रों का समायोजन करते हुये, देश-काल और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए और अलग-अलग दैवज्ञों के मतैक्य के बीच फलित करना आसान नहीं है और न ही मिनटों में किसी की कुंडली का विश्लेष्ण किया जा सकता है.
राहुल सिंह राठौड़ उन ज्योतिषियों में अग्रगण्य हैं जिनका मुझे साहचर्य प्राप्त है, कभी वक़्त मिले तो इनसे पूछिये कि एक कुंडली देखना कितना कठिन और अंतहीन होता है. जिनको भी राहुल भाई से कुंडली दिखवाने का मौका मिला है वो इस बात को जानते हैं क्योंकि एक बार अगर आपकी कुंडली उनके पास पहुँच गई तो हो सकता है कि अगले कई-कई महीनों तक वो आपके कुंडली से कुछ न कुछ आपको बताते रखेंगे क्योंकि फलित ऐसे ही होता है.
बाकी सब लोग जो मिनटों में आपकी कुंडली देख लेते हैं उनसे सिवाय बेबकूफ बनने के आप कुछ भी हासिल नहीं करते भले ही उस ज्योतिष का नाम कितना भी बड़ा क्यों न हो.
नोट- मैं ज्योतिष पर पोस्टें केवल इसलिये लिखता हूँ क्योंकि इस शास्त्र में मेरी रूचि है इसलिये अगर आप मुझसे अपनी कुंडली दिखवाने का अनुरोध करते हैं तो मैं इसमें बिलकुल असमर्थ हूँ. इसकी वजह समयाभाव भी है और इस क्षेत्र में मेरी अयोग्यता भी है क्योंकि मैंने आज तक अपनी कुंडली के सूत्रों को ही ठीक से नहीं समझा है इसलिये किसी और के क्या समझूँगा.
एक अनुरोध ये भी है कि जिस भी ज्योतिष के पास जाते हैं तो उसका पारिश्रमिक उसे जरूर दीजिये क्योंकि आपके लिये जो सामान्य सी बात है उसके पीछे उस दैवज्ञ की वर्षों की मेहनत है और सबसे बड़ी बात ये कि वो आपको समय देता है जिससे बहुमूल्य कुछ भी नहीं है.
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