आयुर्वेद आशीर्वाद : महा रसेन्द्र चूड़ामणि रस

आज हम आयुर्वेद की एक ओर दवा आपके सामने ला रहे है जिसका नाम है “महा रसेन्द्र चूड़ामणि रस”.

महारसेन्द्र चूड़ामणि रस जड़ीबूटियों और भस्मों से बनी बेजोड़ दवा है. और सबसे पहले आपको एक बात बता दूं, इसे कोई भी कंपनी तैयार नहीं करती, इसे खुद बनाना पड़ता है, बहुत ही जबरदस्त देख रेख में.

इसके इस्तेमाल से पुरुषों के हर तरह के यौन रोग खत्म होते हैं, शीघ्रपतन, वीर्य विकार, इरेक्टिकल Disfunction, नामर्दी को दूर करने वाला और भरपूर जोश और जवानी लाने वाली इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है.

तो आइए जाने महा रसेन्द्र चूड़ामणि रस को बनाने का तरीका, इस्तेमाल की पूरी डिटेल, और ओर मात्रा के बारे में.
इसे बनाने के लिए चाहिए होता है

रस सिंदूर एक भाग,
स्वर्ण भस्म दो भाग,
नाग भस्म 3 भाग,
अभ्रक भस्म शासस्तरपुटी चार भाग
वंग भस्म पांच भाग
अतुल शक्तिदाता योग 6भाग
रौप्य भस्म सात भाग
स्वर्ण माक्षिक भस्म आठ भाग
स्वर्ण वंग नौ भाग

इन सभी को अच्छी तरह मिला कर धतूरा और पान के पत्ते के रस में 3 दिन तक अच्छी तरह से खरल करे. उसके बाद मुलहटी, शतावर, कौंच, गिलोय, भारंगी, अमर बैल, खस, नागरमोथा, तुलसी, ओर शुद्ध बचनाग के क्वाथ के साथ भावना देकर छाया में अच्छी तरह सूखा लें.

जितनी दवा बनी है उसके आधे वजन के बराबर शुद्ध अहिफेन मिलाकर रख ले, इसमें व्यक्ति की समस्या के अनुसार परिवर्तन करना जरूरी है.. लीजिये आपकी महा रसेन्द्र चूड़ामणि रस तयार है..

ये आपके जानकारी के लिए है, अपने आप से इसे न बनाएं क्योंकि ये एक बहुत तेज़ और जबरदस्त योग है. आप इसे किसी उचित वैद्य से ही बनवाये जिसे भस्मों की पूर्ण जानकारी हो.

सोना चांदी अभ्रक वंग जैसी भस्मों और जड़ीबूटियों के मिश्रण से यह दवा बेजोड़ पावरफुल बन जाती है. अफीम का साइड इफ़ेक्ट इसमें न के समान होता है और आज के मार्किट में मिलने वाली नशीली दवाओं और वियाग्रा से यह दवा बहुत ज्यादा शक्तिशाली है.

और इतना जबरदस्त लाभ देती है वो भी बिना साइड इफ़ेक्ट के. महारसेन्द्र चूड़ामणि रस यौन वर्धक दवा है, इसके इस्तेमाल से रोम रोम फड़कने लगता है. इसके बारे में कहा जाता है कि विलासी राजा इसका सेवन करते थे जिनकी कई कई रानियां होती थी.

इसके इस्तेमाल से वीर्य गाढ़ा हो जाता है, स्पर्म की क्वालिटी ओर क्वांटिटी दोनों को सही करती है, ओर लांग लास्टिंग इरेक्शन में मदद करती है.

कुल मिलाकर देखा जाए तो यह वियाग्रा से 100 गुना ज्यादा पावरफुल दवा है. जो वियाग्रा की तरह हार्ट फैल, लिवर और किडनी फेल, और अंगों को नुकसान नहीं पहुंचाती.

प्रयोग करने का तरीका

2 से 3 ग्राम तक ही सुबह शाम गर्म दूध से लेना चाहिए. और इसका स्थायी और लगातार कई वर्षों तक लाभ लेने के लिए जब तक ये दवा खा रहे हो तब तक ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें. और इसकी बेजोड़ शक्ति को पाने के लिए कम से कम 45 दिन तक इसका सेवन ज़रूर करें.

बाज़ार में मिलने वाले ज़हर से बचें. ये कुछ समय के लिए तो अच्छा लगता है लेकिन बाद में सारी जिंदगी तबाह कर देता है. इसलिए आयुर्वेद अपनाएं और अपने आपको और अपने परिवार को बचाएं. हम आपकी लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं.

बीमारी घेरने के बाद तो दवाई सबको खानी ही होती है इसलिए कोशिश करें कि बीमारी लगे ही न. उसके लिए शुद्ध खाइये, पौष्टिक खाइये, सात्विक खाइये.
धन्यवाद

– आयुर्वेद डॉ अमर वर्मा

Comments

comments

1 COMMENT

LEAVE A REPLY