दक्षिण भारत से जुड़ी और तीन दिनों के भीतर घटी दो असमय मौतों ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया.
बहुत से लोगों को हैरानी होगी और अटपटा लगेगा कि मैं केरल.. पलक्कड़ के अपने घर के पास जंगल की एक गुफा में रहने वाला मानसिक दिव्यांग वनवासी मधु और तमिलनाडु के सम्पन्न पृष्ठिभूमि से आने वाली बॉलीवुड की ग्लैमरस अदाकारा श्रीदेवी की हुई असमय मृत्यु को एक साथ कैसे रख रहा हूँ.
देखिए न… देश के सबसे साक्षर राज्य केरल… जहां सर्वहारा की तथाकथित ठीकेदार होती आई वामपंथी विचारधारा सत्तात्मक भूमिका में रही है, वहां कुछ मुट्ठी चावल के दानों को चुराने के आरोप में एक पूरी भीड़ जंगल में घुसती है और उसकी पीट-पीट कर हत्या कर देती है. उस हत्यारी भीड़ के सामने वह वनवासी मधु एक सेलेब्रिटी सा हो जाता है, लोग उसके पीछे पड़े होते हैं, सेल्फ़ी ली जाती है और अंततः उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है.
तो दूसरी तरफ… मेरी उम्र के तमाम लोगों के लिए बॉलीवुड की चाँदनी, जिनके पीछे भी एक भीड़ हुआ करती थी, बड़े लोग भी उनके साथ तस्वीरें लेने के लिए बेचैन रहा करते थे… अपने जीवन में महज कुछ मुट्ठी सुकून पाने की तंगहाली में हृदयघात की शिकार हो.. दूर देश में असमय मृत्यु के नजदीक जाने के लिए तन्हा छोड़ दी जाती हैं.
वनवासी मधु तथाकथित सभ्य समाज के हाथों असमय मरा… तो ग्लैमर की धनी और सभ्य समाज की हिस्सा रहीं श्रीदेवी इसी समाज की जंगली मनोवृत्ति और भावहीन चलन के हाथों मारी गयीं.
मेरे लिए मधु और श्रीदेवी दोनों की असमय मौतें… इस भावमुक्त हो चले समाज के हाथों हुई हत्या है. और इस समाज का हिस्सा होने के नाते मैं खुद को भी इन हत्याओं के जिम्मेदार माने बगैर नहीं रह सकता.
मधु और श्री… आप दोनों ने सदमा दिया : आप दोनों को श्रद्धांजलि.