बीती रात पापा के साथ बैठकर दूरदर्शन पर खजुराहो महोत्सव का प्रसारण देख रहा था. अचानक बड़े राजकुमार ज्योतिर्मय जी (मिकी) आए और आदेश दिया कि ‘पापा आपको चिकी (गीत जी) बुला रहा है.’
टीवी पर चल रहे भरतनाट्यम को छोड़कर जाने का अपना बिलकुल मन नहीं हुआ, सो कह दिया कि हाँ, आता हूँ.
दो मिनट बाद ही वे फिर आ धमके कि जल्दी चलो, चिकी ने कहा है कि बहुत ज़रूरी काम है.
विद्यापति के गीत पर प्रस्तुति देती नृत्यांगना को मन ही मन प्रणाम कर और मन को मार कर वहाँ से उठे और गीत जी की सेवा में प्रस्तुत हुए.
आवाज़ को तीखा बनाते हुए पूछा, ‘क्या ज़रूरी काम है? तुम लोगों के कारण एक मिनट भी चैन नहीं.’
इस तीखेपन से अप्रभावित गीत बाबू ने कम्प्युटर स्क्रीन की तरफ इशारा किया कि ये देखो, क्या बता रहे हैं.
देखा तो पाया कि साहब यूट्यूब पर एक वीडियो देख रहे हैं ‘दुनिया के अंत की भविष्यवाणियां’.
‘यार, ये सब क्या देखते रहते हो? फाइनल exams चालू हैं, कुछ पढ़ाई-लिखाई कर लो.’
जब इन लोगों को कुछ कहना होता है तो अपनी सुनते ही नहीं… तब तक कोई मतलब नहीं होता कि सामने वाला क्या कह रहा है, जब तक कि अपनी कह न लें.
‘पापा, देखो इसमें सब गलत-गलत बता रहे हैं… पहले जो डेट बताई वो तो निकल भी चुकी है और अपन सब तो ज़िंदा हैं.’
‘बाद में जो बताई वो आने वाली है, जब अपनी धरती नष्ट हो जाएगी… पर चिंता की कोई बात नहीं है, अपन सब फिर भी ज़िंदा रहेंगे.’
अब अपन वाकई हैरान हुए, पूछा, ‘मालिक, जब धरती ही ख़त्म हो जाएगी तो हम लोग कैसे बचेंगे?’
चिरंजीव गीत पूरे आत्मविश्वास और गर्व के साथ मेरी तरफ घूमे और कहा, ‘पहले मोदी जी नहीं थे, पर अब हैं, जब तक ये डेट आएगी तब तक वो कोई नया प्लानेट खोज लेंगे और सबको वहां भेज देंगे… सिंपल…’
समझ नहीं आया कि इस साढ़े छः साल के मोदी-भक्त की बात पर हंसूं या उसके मन में मोदी के प्रति श्रद्धा के सामने नतमस्तक हो जाऊं… बस उसके सर पर हाथ रख बालों को सहला दिया.
गीत के मोदी-प्रेम के बारे में पिछले लेख जो लिखा था, वही दोहराना चाहूंगा कि ‘मोदी जी, इस बालक के वोट डालने की उम्र आने तक ज़रूर बने रहना, कम से कम एक बार ये आपके लिए वोट डाल सके.’
गीत जी का एक और नमो-नामा –