पीएनबी घोटाला : उम्मीद है, और बड़ी रकमों के साथ उजागर होंगे बड़े नाम

आज कल NPA की बड़ी धूम है और हर जगह उसका ही बोलबाला है. देखा जाये तो सारे पब्लिक सेक्टर के बैंकों का एनपीए 7 लाख 34 हज़ार करोड़ है और उसमें से नीरव मोदी का सिर्फ 11 हज़ार 400 करोड़ है जो पूरे एनपीए का सिर्फ 1.5% है.

मेरे लिये यह रकम ऊंट के मुँह में जीरे के बराबर है और उससे लगता है कि आने वाले समय में इससे भी बड़े एनपीए के नाम पर बड़े घोटाले सामने आयेंगे.

जब से नीरव मोदी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक से किया गया घोटाला सामने आया है तब से ही कांग्रेस और मीडिया के उसके टट्टू इस बात की डुगडुगी बजाने में लगे हैं कि यह वर्तमान की नरेंद्र मोदी सरकार की बहुत बड़ी असफलता है.

ये लोग यह बताने में लगे हैं कि सरकार इस घोटाले पर चार वर्षो से चुप रही और नीरव मोदी को भारत से भागने दिया गया है.

जबकि सत्यता यह है कि जो यह घोटाला पकड़ में आया है, यह सरकार द्वारा 2017 में, बैंकों के बकायेदारों के एकाउंट्स की कड़ाई और बारीकी से किये गये ऑडिट का परिणाम है.

अब इस पर यह कहना कि सरकार को 2016 में खबर हो गयी थी लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया है, बिलकुल बेहूदा बात है. यह तो वही बात हुई कि एक दिन आपको चोरी की खबर लगती है और चोरी करने वाले कथित चोर का नाम सामने आता है और अगले ही दिन उसको फांसी में चढ़ा देते है!

क्या यह औकात आपकी है?

यहां एक बात समझ लीजिये कि बिना ऑडिट के किसी भी वित्तीय अपराध को निर्धारित करना तो दूर, आप यह भी प्रमाणित नहीं कर सकते है कि कोई अपराध हुआ है.

अब केवल यह आरोप लगाना कि आरोपी व्यक्ति देश छोड़ कर चला गया है और इसलिए सरकार इस घोटाले में शामिल है, यह दलील कानूनी रूप से न्यायलय में कोई भी मायने नहीं रखती है.

मेरा अपना मानना है कि वर्तमान सरकार ने, यूपीए की सरकार की कार्य प्रणाली के विपरीत इस मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को समझते हुये, पूरी ऐहतियात बरती है.

उन्होंने सारी प्रक्रिया को पूरी तकनीकी दायरे में, नियम कानून के अंदर पूरी की है, जिसका हमें कोई पता ही नहीं है. हमको इस के लिए सरकार की सराहना करनी चाहिए क्यूंकि यदि नीरव मोदी अपराधी है तो यह यकीन मानिये कि वह सिवाय पाकिस्तान के कहीं भी बहुत देर तक छुप नहीं सकता है.

बहुत से लोग नीरव मोदी के बाहर भाग जाने पर विजय माल्या का उदाहरण दे कर फब्तियां कस रहे हैं लेकिन उस वक्त वह इस बात को न याद करते हैं और न ही बताते हैं कि माल्या के ऊपर 1.5 बिलियन डॉलर का पूरे विश्व में उसकी सम्पतियों पर फ्रीज़िंग ऑर्डर है.

वो आज़ाद नहीं है बल्कि इंग्लैंड में 650,000 (छ: लाख पचास हज़ार) पौंड के जेल बांड पर बाहर है. उसको सिंगापुर की बीओसी एविएशन को 90 मिलियन डॉलर जबरन देने पड़े हैं और अभी भी वो इंग्लैंड के कोर्ट में स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा निर्गत एक्सट्रडीशन वारंट के विरुद्ध केस लड़ रहा है.

जब हम कटाक्ष और नारेबाज़ी करने लगते हैं तब सब कुछ एक षडयंत्र ही लगता है. राजनीतिज्ञ भ्रष्ट हैं, पुलिस जानबूझ कर देरी से पकड़ने पहुंची और उसे भाग जाने दिया गया, यह सब बहुत फ़िल्मी है और हम सिर्फ 2 मिनिट नूडल्स के तर्ज़ पर वही देख और समझ पाते हैं.

यदि आप तटस्थ हो कर इस सबको देखे तो आपको वर्तमान सरकार की पीठ थपथपानी चाहिए क्यूंकि सरकार ने धैर्यपूर्वक भारत को एक आर्थिक आपदा से निकाला है.

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में यह कहा था कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों में एनपीए 36% की जगह 82% है और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को टूटने से बचाने के लिए उस पर चुप रहे तो यह शत प्रतिशत सही बात है.

इन चार सालों में इस सरकार ने बैंकों की यथास्थिति को उजागर करने और उनको कारगर बने रहने के लिये जो मेहनत की है वह स्पष्टतः सामने दिख रही है.

आपको अक्ल नहीं है तो यह बता दूं कि विश्व में कोई भी बैंकिंग सेक्टर 82% की एनपीए ओढ़ कर जीवित नहीं रह सकता है. उसका दिवालिया होना निश्चित है. और जब किसी राष्ट्र के पब्लिक सेक्टर के बैंक दिवालिया होते है तो राष्ट्र दिवालिया हो जाता है.

आज जब 4 वर्षो बाद स्थिति सरकार के हाथ में है तब जाकर पंजाब नेशनल बैंक अपने शेयरों में आयी गिरावट को झेल सका है.

यही नीरव मोदी का मामला और 82% की एनपीए भारत की जनता और देशी-विदेशी निवेशकों को 2 – 3 वर्ष पहले पता लगता तो जहाँ पंजाब नेशनल बैंक का दिवालिया होना तय था, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा कर 1991 से भी ज्यादा बुरी स्थिति में पहुँच जाती.

वर्तमान सरकार को पूर्व की सोनिया गाँधी, मनमोहन सिंह, चिदंबरम और रघुराम राजन की भ्रष्ट यूपीए सरकार द्वारा निर्मित यह ऐसी वृहत वित्तीय घोटालों की समस्या मिली जिससे मुक्त होने का सिर्फ एक ही उपाय था कि प्राथमिकता के आधार पर एनपीए के पूर्ण सत्य का पता करना और एक-एक वित्तीय अपराधी को कानून की हद में लाना.

जिस तरह से वर्तमान सरकार संभल-संभल कर इन वित्तीय अपराधियों के खिलाफ मज़बूत केस बना रही है, उससे मुझे तो यही आशा है कि आने वाले समय में और बड़े नाम/ अनाम, और बड़ी रकमों के साथ हमारे सामने आने वाले है.

यह लेख निलाद्री बोस द्वारा लिखित अंग्रेजी में लिखे आलेख से प्रेरित है.

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