रोम सहित पूरे यूरोप, अमेरिका आदि देशों में शादी करना मना था क्योंकि वहाँ के महान दार्शनिक अरस्तु का कहना था, जीवन आनंद लेने के लिए होता है.
किसी बंधन में बंधने से आनंद बाधित हो जाएगा, इसलिए शादी और बच्चे यूरोपीय समाज में स्वीकार्य नहीं थे.
सम्राट क्लाउडियस द्वितीय के शासनकाल में एक वेलेंटाइन नामक व्यक्ति था जिसको किसी तरह भारतीय संस्कृति के विषय में जानकारी मिली.
भारत की सामाजिक व्यवस्था से प्रभावित हो कर उन्होंने रोम में लोगों को विवाह करने के लिए प्रेरित करना शुरू किया.
विवाह से होने वाले लाभ को समझाने लगे… जो लोग उसकी बात को समझ जाते उनकी शादी वो करवा देता था.
राज्य की तरफ से विवाह की अनुमति नहीं थी इसलिए कुछ अंधविश्वासियों ने राजा से उसकी शिकायत कर दी.
सम्राट क्लाउडियस ने वेलेंटाइन को गिरफ्तार करवा लिया… अदालत में राजद्रोह के लिए उनको फाँसी की सज़ा मिली.
14 फरवरी को वेलेंटाइन को फाँसी दी गयी.
उनके मरने के बाद भी रोम में विवाह करना चलता रहा और बाद में राज्य की तरफ से भी अनुमति मिल गयी.
इति श्री वेलेंटाइन कथा समाप्त… जय बोलो बाबा वेलेंटाइन की.
यूरोप, अमेरिका वालों को विवाह नामक व्यवस्था से परिचय कराने के कारण वेलेंटाइन बाबा उनके आदरणीय हुए… लेकिन उनके जन्मदिन को भूल कर उनके मरण दिवस पर खुशियां मनाना शुरू किया.
और हम तो हैं ही महान… हमारे यहाँ तो विवाह सोलह संस्कार में से एक सँस्कार है.
प्रत्येक हिन्दू के जीवन में सोलहों संस्कार अनिवार्य ही हैं फिर भी हम उछल-उछल कर वेलेंटाइन डे मना रहे हैं.
साथ में तर्क भी है कि खुशी मनाने में क्या बुराई है.
बुराई खुशी मनाने में नहीं, अधूरी जानकारी और गलत परंपरा की नींव डालने में है.
वसंत पंचमी से लेकर चैत्र नवरात्र तक हमारे त्योहार हैं… उसके बाद भी हमको वेलेंटाइन डे की कमी महसूस हो रही है…
क्योंकि हम अपनी जड़ों से कट गए हैं… मानसिक दासता की पराकाष्ठा ऐसी है कि विदेशी त्योहार से ही खुशियाँ मिल रही हैं…
क्योंकि अब हम उपभोक्तावादी संस्कृति में जी रहे हैं… बाज़ार जो दिखायेगा वही हमको दिखेगा.
वसंतोत्सव की मार्केटिंग नहीं होती है तो हम जानते ही नहीं है कि ऐसा भी कुछ होता था.
फाग गाने वाली पीढ़ी अब समाप्तप्रायः ही है, इसलिए न बसंत की बहार है, न फागुन की मस्ती.
जब हम ही नहीं जानते हैं तो हमारी आने वाली पीढ़ी क्या खाक जानेगी.
अब कुछ वर्षों में बाबा वेलेंटाइन का मंदिर बनेगा और 14 फरवरी को वहाँ मेला लगेगा… मेरा परपोता उस मेले से मेरे लिए बर्गर खरीद कर लाएगा… बस इसकी ही प्रतीक्षा है…
इसके साथ ही इंडिया में जन्म लेना सफल हो जाएगा.