समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समधी और अखिलेश यादव की सरकार द्वारा सूचना आयुक्त बनाये गए अरविंद कुमार बिष्ट को रियायती दरों पर आवंटित दो भूखंडों का आवंटन बीती 4 फरवरी को लखनऊ विकास प्राधिकरण ने निरस्त कर दिया.
वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार ने यह अन्याय क्यों किया? आइये इसकी जांच करें…
एलडीए कहती है… अरविंद और उनकी पत्नी के पास एक से अधिक भूखंड पहले से ही मौजूद हैं.
अब भला यह कौन सा अपराध हुआ? आइये इसकी भी जांच करें…
एलडीए का नियम है कि अगर किसी पति-पत्नी में से एक के पास उत्तर प्रदेश के किसी सरकारी या निजी आवासीय समिति की किसी योजना में आवास/भूखंड आवंटित है तो दूसरा आवंटन नहीं किया जा सकता.
मज़े की बात यह है कि मुलायम सिंह की समधन और सूचना आयुक्त अरविंद बिष्ट की पत्नी अंबी बिष्ट को यह नियम खूब कायदे से मालूम है… क्योंकि वह खुद एलडीए की उपसचिव हैं जिनका पिछले ही सप्ताह तबादला हुआ है.
एलडीए की आवंटन नीति के मुताबिक आवंटन से पहले इस बात का शपथपत्र देना होता है कि पति-पत्नी के नाम सरकारी या निजी समिति की कोई संपत्ति आवंटित नहीं है.
गोमतीनगर लखनऊ के विराजखण्ड के भूखंड के लिए अरविंद बिष्ट ने ऐसा शपथपत्र दिया. फिर भी रतनखण्ड के भूखंड का पंजीकरण कराया गया.
एलडीए के रिकार्ड के मुताबिक अंबी बिष्ट के नाम 2/12 विराटखण्ड भूखंड एलडीए कर्मचारी कोटे में पहले से ही आवंटित है. इसके बावजूद उनके पति अरविंद को पत्रकार कोटे से विराटखण्ड 1/3 भूखंड आवंटित कर दिया गया. फिर रतनखण्ड में भी तीसरा भूखंड आवंटित किया गया.
अब एलडीए ने दूसरा और तीसरा आवंटन निरस्त करते हुए संपत्ति अपने कब्जे में ले लिया है.
बड़ी बात यह कि एलडीए की उपसचिव रहते हुए किसी दूसरे ऐसे ही मामले के मुकदमें में अंबी बिष्ट एलडीए के प्रतिनिधि के तौर पर कोर्ट के समक्ष शपथपत्र दे चुकी हैं कि… पति-पत्नी के नाम से एक से ज्यादा संपत्ति आवंटित करना अपराध है, अवैध है, नहीं किया जा सकता.
समाजवादी पार्टी कहती है यह सब राजनीतिक से प्रेरित होकर किया जा रहा है.
इसलिए पूरे मामले को विस्तार से जानते हुए समाजवादी राजनीति और सरकारी काम-काज की वैधता-अवैधता पर आप सब खुद मंथन-चिंतन करें तो बेहतर हो. क्योंकि… प्रदेश और देश की स्थापित मीडिया की नज़रों में ऐसे मामले खबर योग्य नहीं हैं.