आकड़े को आक, मदार, पारद व अकौआ के नाम से भी जाना जाता है. यह अत्यंत विषैला होता है. ज़हरीले होने के साथ ही यह हमारे शरीर को अमृतीय गुण प्रदान करता है.
पर इसके गुणों को कम ही लोग जानते हैं. शिवरात्रि आने वाली है, भगवान शिव को इसके सफेद व बैंगनी फूल अतिप्रिय है.
आकड़ा चार प्रकार का होता है जिसमे श्वेतार्क ओर रक्तार्क तो आसानी से मिल जाते हैं, पर राजार्क ओर पिस्तई फूल वाला आकड़ा दुर्लभ है. नवग्रह समिधा में सूर्य को आकड़े की समिधा लगती है.
गाँव के लोग कांटा लगने पर इसका दूध लगाते हैं जिससे कांटा शीघ्र निकल जाता है, वहीं खेतों पर होने वाली पिकनिक पर मक्की के आटे के “पानीये” बनाये जाते हैं, जिसको आक के पत्तों के बीच रखकर सेका जाता है, जिसका सेवन आँखों की रौशनी बढ़ाता है.
आक का दूध कभी भी सीधे आँखों पर नहीं लगाना चाहिए. अगर दाईं आँख दुःख रही हो तो बाएँ पैर के नाख़ून और बाईं आँख दुःख रही हो तो दाएं पैर के नाखूनों को आक के दूध से तर कर दें.
आकड़े के दूध को रुई और थोड़े से घी में भिगोकर दांत में रखने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है.
शुगर लेवल को कम करने के लिए इसकी पत्ती को उल्टाकर तवे पर रखकर थोड़ा सा गर्म कर लें और अपने पैर पर सटाते हुए लगाकर मोजा पहन लें. सुबह से लेकर रात तक इसी तरह से लगे रहने दें और सोने से पूर्व इसे पैर से निकाल लें. इस तरह करने से आपका शुगर लेवर अपने आप ही समान्य स्थिति में आ जाएगा, साथ ही यह आपके पेट को कम करने में सहायक होता है.