फ़रेब हो सकती हैं देह की बातें, रूह की क़तई नहीं

love-astitva

वो झूठ ही सही
पर बेहद मीठा था

इतना मीठा
कि मैं, मैं न रही

फिर कभी कभी सोचती हूँ
वो सब झूठ कैसे हो सकता है

हाँ, उसके आस पास जो हुआ
वो झूठ हो सकता है

पर वो पल नहीं
कभी नहीं
जो तुम्हें रूपांतरित कर दे
वो कैसे झूठ हो सकता है
वो तो ख़ुदा था
ख़ुदा का भेजा हुआ था
फ़रेब हो सकती हैं देह की बातें
रूह की क़तई नहीं

उस एक पल के लिए
जब तुमने कहा था
मेरा सारा वक़्त तुम्हारे लिए है देवी
हाँ, मैं शिव हूँ और तुम शक्ति

उस दिन के लिए, उस रात के लिए
जब न तुमने कुछ खाया था न मैंने
न ही कुछ पिया था
तुम उदास भी थे, ख़ुश भी
कुछ बदल गया है, तुमने कहा
मैं रो रही थी ज़ार ज़ार
बिलकुल ख़ाली हो गई थी
या फिर कहीं अंदर तक भर गई थी

उदास थी पर संतुष्ट थी
तुम्हें जाना होगा , मैंने कह दिया था
उस दिन, उस रात के लिए
तुम्हारे सौ झूठ, फ़रेब, धोखे माफ़

मुझे अमृत संभालना आता है
शिव का भेजा हुआ था वो
जो कंकर पत्थर साथ में आया वो भी तो आना ही था
एक देहधारी जो ले कर आया था अमृत

कृतज्ञ हूँ मैं

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