अभिव्यक्ति डॉ अव्यक्त की : थाइरॉइड हॉर्मोन की कमी और उपचार की सम्पूर्ण जानकारी

दोस्तों भारत दुनिया में सर्वाधिक, डायबिटीज और थाइरोइड के मरीजों का देश है. भारत में 11 प्रतिशत लोगों का TSH ( थाइरोइड हॉर्मोन के कम होने पर बढ़ता है) बढ़ा हुआ है.

5 प्रतिशत महिलाओं को थाइरोइड सबंधी लक्षण हैं. जिसका अर्थ हुआ लगभग 6 करोड़ महिलाओं को थाइरोइड सबंधित समस्याएं हैं, एवं सम्पूर्ण रूप में देखें तो 13 करोड़ लोग इस हॉर्मोन की कमी के शिकार हैं.

भारत में यह दर अमेरिका से 2 गुना अधिक एवं ब्रिटेन से लगभग 5 गुना अधिक है. जिसकी प्रमुख वजह था हमारा लंबे समय तक आयोडीन युक्त भोजन न करना. 1983 में नमक को iodized करने के बाद से 90 प्रतिशत घरों तक यह पंहुचा है किंतु 10 प्रतिशत में अब भी आयोडीन की कमी है.

लक्षण

थाइरोइड हॉर्मोन चित्र में दी हुई थाइरोइड ग्रंथि से स्त्रावित होता है एवं शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं मानसिक, शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है. थाइरोइड हॉर्मोन की अधिकता एवं कमी दोनों से ही अनेकों समस्याएं शरीर में उत्पन्न होती हैं इलाज न लिया जाए तो.

लेकिन इस लेख में, थाइरोइड हॉर्मोन की कमी जिसे hypothyroidism कहते हैं पर ही मैं प्रकाश
डालूंगा. क्योंकि यही सबसे अधिक होने वाली समस्या है.

इसकी कमी इतनी धीमी होती है कि बहुतों को इसका पता ही नहीं होता एवं हल्की फुल्की तकलीफों को जीवन का सामान्य हिस्सा मान लेते हैं.

1. थकावट
2. चिडचिड़ा पन
3. वज़न का बढ़ना
4. बालों एवं त्वचा का रूखापन
5. अधिक नींद आना. इससे लोग इन्हें आलसी समझ लेते हैं.
6. कब्ज़/ constipation
7. ठंड का अधिक लगना
8. हाथ पैर में सूजन
9. Cholestrol का बढ़ना..
10.अवसाद
11. ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत
12. मांस पेशियों में बार बार खिंचाव, muscle cramps..
13. मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं जैसे menorrhagia

आवश्यक नहीं सभी में सभी लक्षण हों. लेकिन कुछ अवश्य होंगे.

महिलाओं में 5 से 10 गुना अधिक संभावना होती है hypothroidism की, पुरुषों की तुलना में.

क्यों होता है hypothyroidism: कारण

1. हाशिमोटो thyroiditis:

1912 में जापान के डॉ हिकारू हाशिमोटो ने पहली बार इसे वर्णित किया था. यह थाइरोइड हॉर्मोन कम होने का सर्वाधिक होने वाला कारण है. इसमें शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता के लिए मौज़ूद एंटीबाडी गलती से स्वयं की थाइरोइड ग्लैंड को ही दुश्मन मान उसकी कोशिकाओं को क्षति ग्रस्त करने लगती हैं.

यह काऱण आनुवंशिक भी होता है. अतः माता या पिता को होने पर बच्चे को भी संभावना होती है वयस्क होने पर इसके होनी की. अधिकतर इस कारण के होने पर जीवन भर थाइरोइड हॉर्मोन की टेबलेट लेनी होती है.

अच्छी बात यह है कि थाइरोइड की जांच एवं उपचार दोनों बेहद सस्ता एवं सुरक्षित है. लेकिन जीवनभर चलेगा.

अतः भ्रामक दावों से बचें. इसकी diagnosis आसान एवं सस्ती जांच T3, T4 , Tsh नाम के ब्लड इन्वेस्टीगेशन से होती है. जिसमें TSh 5 m IU/dl से बढ़ा मिलने का अर्थ है थाइरोइड हॉर्मोन कम बन रहा है.

Tsh जांच 200 से 500 रुपये के बीच आसानी से हो जाती है. कभी कभार hashimoto thyroiditis की antithyroid peroxidSe antibody को देखने चिकित्सक Anti TPo जांच लिख सकते हैं.

2. लिम्फोसाईटिक throiditis:

यह गर्भस्थ माँओं में से लगभग 8 प्रतिशत महिलाओं को हो जाती है. इसमें शुरुआत में थाइरोइड हॉर्मोन की अधिकता होती है, किन्तु कुछ हफ्तों में थाइरोइड कम हो जाता है. किंतु अधिकांश मरीज़ 6 माह में सामान्य थाइरोइड के स्वतः ही हो जाते हैं. उस छः माह में मात्र उपचार की आवश्यकता होती है. गर्भावस्था में मां का उपचार अत्यंत आवश्यक है अन्यथा शिशु का दिमागी विकास प्रभावित हो सकता है

और इन स्वतः ठीक हो जाने वाले मरीजों के समूह की वजह से ही भ्रामक और अवैज्ञानिक उपचार या तरीकों को थाइरोइड को जड़ से ठीक कर देने का श्रेय लेने का अवसर मिल जाता है.

3 . थाइरोइड का आपरेशन, या radiotherapy इत्यादि से आई कमी. यह रेयर है.

4. पिट्यूटरी ग्लैंड में बीमारी, tumour या चोट: मस्तिष्क में उपस्थित पिट्यूटरी ग्रंथि थाइरोइड ग्रंथि की बॉस है. वही TSH नाम के हॉर्मोन का स्त्राव कर थाइरोइड ग्रंथि से स्त्रावित होने वाले T4 एवं T3 के स्राव को नियंत्रित करती है.

अतः बॉस ही बीमार हो जाये तो थाइरोइड कम होगा ही. लेकिन यह कारण भी रेयर है इसलिए इसपर विस्तार से नहीं लिख रहा.

किस उम्र में होता है hypothyroidism:

नवजात शिशु से लेकर किसी भी उम्र में यह हो सकता है. किन्तु 46 से 54 वर्ष की उम्र में सर्वाधिक होता है.

निदान/ diagnosis:

इस बीमारी का निदान शिशुरोग विशेषज्ञ, फिजिशियन, एवं endocrinologist करते हैं.

सामान्य रक्त जांच T3, T4, Tsh..

सस्ती, सुलभ और बेहद विश्वसनीय जांच है.

सामान्यतः इसके अलावा अन्य जांचों की आवश्यकता नहीं होती.

किन्तु cholestrol, ब्लड शुगर, इनके साथ ही कराया जाता है. क्योंकि hashimoto thyroiditis के मरीजों में diabetes होने की संभावना भी अधिक होती है.

कभी कभार TPO, पिट्यूटरी ग्रंथि के लिए TRH, MRI brain की आवश्यकता आपका चिकित्सक महसूस कर सकता है.

उपचार

अधिकांश मरीजों को एक बार hypothyroidism होने पर जीवनपर्यंत ऊपर से synthetic thyroid हॉर्मोन देने की आवश्यकता होती है.

यह eltroxin, thyronorm जैसी बेहद सस्ती गोलियों के रूप में मिलता है. इसमें T4 होता है.

इस गोली को रोज़ खाली पेट सुबह खाना होता है.

इसकी मात्रा व्यक्ति या बच्चे के TSh की मात्रा एवं वज़न के अनुरूप तय की जाती है.

एवं 2 से 6 माह में TSh जांच के आधार पर dose में बदलाव समय समय पर किया जाता है.

Lympcytic thyroiditis के केस कुछ माह में ठीक हो कर दवा के बिना रह पाते हैं. लेकिन इनकी संख्या बेहद कम है.

इसलिए जैसे रोज़ खाना खाते हैं, ब्रश करते हैं वैसे एक गोली रोज़ लेने में कुछ नहीं जाता. व्यर्थ का दबाव मन मस्तिष्क में न बनाएं.

साइड इफ़ेक्ट

क्योंकि थाइरोइड हॉर्मोन शरीर के लिए आवश्यक हॉर्मोन है इसलिए कम बनने पर ऊपर से समुचित मात्रा में इसे देना पूर्णतः सुरक्षित है. क्योंकि यह दवा नहीं, शरीर के लिए आवश्यक तत्व है.

खाना

कुछ भी खा सकते हैं. व्यर्थ परहेज़ न करें. किन्तु पत्ता गोभी, मूली को कभी कभार ही खाएं. इनमें antithyroid प्रॉपर्टी होती हैं.

जन्मजात hypothyroidism:

यह नवजात शिशुओं में होने वाली मंद बुद्धि एवं कम हाइट का सर्वाधिक कॉमन treatable कारण है.

मेरे पास कभी कभार 2 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के ऐसे बच्चे लोग लेकर आते हैं. जो चल भी नहीं सकते, मंद बुद्धि होते हैं एवं बौने होते हैं. लेकिन थाइरोइड की कमी का कारण पता चलते ही मात्र 25 पैसे रोज़ की गोली से सामान्य होना आरम्भ हो जाते हैं.

अतः जन्मजात hypothyroidism तो नहीं इसके लिए शिशु को पहले 7 दिन में ही शिशुरोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए.

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