स्त्री ने नींद मांगी
ईश्वर मुस्कुराया
और पुरुष की तरफ देखा
जैसे ईश्वर खुद पुरुष पर आश्रित हो
नींद के मामलें में
स्त्री ने साथ माँगा
पुरुष ने इसे हाथ समझा
उसने पकड़ लिया कसकर
वो खुद फिसलकर गिरा
और गिरा दिया स्त्री को भी अपने साथ
इस तरह से गिरना बनी एक दैवीय घटना
इस बात के लिए
ईश्वर को नहीं दिया गया कोई दोष
स्त्री जरुर समझी जाती रही कमज़ोरी का प्रतीक
स्त्री मांगने में करती रही संकोच
वो देती रही नि:संकोच
ईश्वर ने इस बात पर नहीं थपथपायी उसकी पीठ
वो व्यस्त रहा पुरुष के पलायन पढ़ने में
जब थक कर नींद न मिली
चाह कर साथ न मिला
तब भी ईश्वर पर संदेह नहीं किया एक स्त्री ने
तमाम उपेक्षाओं के बावजूद
ईश्वर से सर्वाधिक संवाद रहा स्त्री का
प्रार्थनाओं की शक्ल में
दरअसल
ईश्वर और पुरुष दोनों इस बात पर सहमत थे
स्त्री को नींद की जरूरत नही है
इसलिए मुद्दत से
जाग रही है स्त्री
और बेफिक्र होकर सो रहा ईश्वर
पुरुष के ठीक बगल में.
– डॉ. अजित