नई दिल्ली. बोफ़ोर्स तोप मामले में लगभग 13 साल पहले दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
64 करोड़ रुपये की दलाली से जुड़े इस मामले में शुक्रवार को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है.
साल 1987 में सामने आए इस बहुचर्चित मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई, 2005 को सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. देश की राजनीति में उथलपुथल मचा देने वाले इस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी शामिल होने के आरोप लगे थे.
1986 में हुआ था बोफ़ोर्स सौदा
भारत और स्वीडिश आयुध निर्माण कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1437 करोड़ रुपये मूल्य के 155 एमएम के कुल 400 हॉवित्सजर गन खरीदने का सौदा 24 मार्च 1986 को हुआ था.
इसके बाद 16 अप्रैल 1987 को स्वीडिश रेडियो ने दावा किया था कि कंपनी ने इस रक्षा सौदे को पाने के लिए भारत में उच्च पदस्थ राजनीतिज्ञों और रक्षा अधिकारियों को दलाली दी है.
दलाली के आरोप यूरोपीय व्यापारी हिन्दुजा बंधुओं समेत तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और इटैलियन बिजनेसमैन ओतावियो क्वात्रोच्ची पर लगे थे.
बाद में सरकार ने इसकी जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था. सीबीआई ने 22 जनवरी, 1990 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. सीबीआई ने बिन चड्ढा और हिन्दुजा भाइयों को मामले में मुख्य आरोपी बनाया था.
1 मई, 2005 को दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने तीनों हिंदूजा बंधुओं (श्रीचंद, गोपीचंद व प्रकाशचंद) और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप रद्द कर दिए थे
बता दें कि इससे पहले अक्टूबर में सीबीआई ने बोफोर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने के लिए सरकार से मंजूरी देने का आग्रह किया था. माना जा रहा है कि सीबीआई ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की सलाह पर हाई कोर्ट के फैसले को एक दशक से ज्यादा समय बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.