चलो यूँ करें, ‘तुम’, तुम भी रहो, ‘मैं’, मैं भी रहूं, ‘हम’, हम भी रहें

अपने रंग गवाए बिन, मेरे रंग में घुल जाओ…
अपनी धूप बुझाए बिन, मेरी छाँव में आ जाओ…
चलो यूँ करें…

‘तुम’… तुम भी रहो… ‘मैं’… मैं भी रहूं…
‘हम’… हम भी रहें…
तीनों मिल के साथ चलें..
साथी जनम जनम…

जैसे बादल पानी का, याराना है…
जैसे गुल और खुशबू का, दोस्ताना है…
वैसे ही रहें हम तुम…
वैसे ही जीयें हम तुम…

हो, तेरे मेरे हाथों में, कोई भी पिंजरा ना हो…
एक दूजे पर अपना, हक़ तो हो क़ब्ज़ा ना हो
हर हाल में…
तुम… तुम भी रहो… मैं… मैं भी रहूं…
हम… हम भी रहें…

एक दिन तो वो लम्हा, भी आना है…
दोनों में से एक ने, चले जाना है….

बातें यह सभी हम तुम, जान लें अभी हम तुम…
हो दोनों मिल के साथ में, ऐसे जीना सीख लें…
ताकि जो पीछे रहे, उसको ना हो मुश्किलें…

ओह चलो यूँ जियें… गर… मैं ना रहूं…
या… तुम ना रहो… हम… हम ही रहें…
जैसे साया साथ चले, साथ रहें हरदम..

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