30 जनवरी : एक मुक्ति दिवस

30 जनवरी – भारतीय इतिहास में एक देरी से किये गये मूर्खतापूर्ण कृत्य का दिन जिसने एक “चुके हुए आदमी” को “महान” बना दिया और हिंदुओं पर सदैव के लिये “अपराधबोध” लाद दिया गया.

30 जनवरी — भारतीय इतिहास में एक असाधारण दिन जब एक “व्यक्ति” मरा और उसकी लाश से एक “मिथक” का जन्म हुआ.

30 जनवरी — भारतीय इतिहास में एक शानदार दिन जब ‘व्यक्तिपूजा’ को समाप्त करने की कोशिश की गयी.

30 जनवरी– भारतीय इतिहास का एक राहत भरा दिन जब भारत के बीच से होकर गुजरने वाले 800 मील लंबे गलियारे के रूप में फिर से विभाजन की संभावना को खत्म कर दिया गया.

30 जनवरी — भारतीय इतिहास का “काला दिन” जब एक ‘महान देशभक्त’ सदैव के लिये ‘अतिवादी हिंदू’ करार दे दिया गया.

“महात्मा” गांधी में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं क्योंकि अहिंसा को मैं महावीर और जैन मुनियों से सीख लूंगा. मेरा वास्ता तो “राजनेता गांधी” से है जिसके निर्णयों ने मेरा “वर्तमान” असुरक्षा से भर रखा है.

हीगल का कथन किसी विद्वान के अपने शब्दों में, “भारतीय अपने इतिहास से केवल एक बात सीखते हैं कि उन्हें अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखना.”

जब जब भारत में वैयक्तिक आध्यात्मिकता को धर्म और समाज के अलावा राजनीति में घुसेड़ा गया है इस देश ने कीमत चुकाई है. बौद्ध धर्म और अहिंसा से किसे इनकार है पर अशोक ने उसे राजनीति में लाकर खुद के लिये भले ही “महान” की पदवी आरक्षित कर ली पर देश को इसकी कितनी कीमत चुकानी पड़ी? बाद में 184 ई.पू. में यूनानी पाटलिपुत्र तक आ पहुँचे.

गांधीजी ने अहिंसा को अति महिमामंडित किया पर उसे राजनीति में घुसेड़ने का क्या परिणाम हुआ? उत्तर पश्चिम में पश्चिमी पाकिस्तान, पूर्व में एक और पाकिस्तान (बांग्लादेश), कश्मीर में एक और पाकिस्तान, केरल, पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर्प्रदेश में कई छोटे छोटे स्थानीय पाकिस्तान?

– बेहतर ना हुआ होता कि वे अपने “सत्य, अहिंसा और ब्रह्मचर्य’ के प्रयोगों को आश्रम तक रखते.
” हिंसा और कायरता में से अगर चुनना पडा तो मैं हिंसा को चुनूंगा “ऐसा कहकर वे वास्तविक अहिंसा के नजदीक तो पहुँच गये पर” उससे “आसक्ति” के चलते कभी भी जीवन में उतार ना सके और मुस्लिमों के आगे झुकते ही गये.

और गांधी जी अपने “व्यक्तिगत सिद्धांतों और इच्छाओं” को थोप कर “भारत राष्ट्र” का क्या भला कर रहे थे?

1- शरणार्थी हिंदुओं को मस्जिदों और मुस्लिमों के खाली मकानों से निकालो.
2- शरणार्थी हिंदुओं को वापस पाकिस्तान भेजा जाना चाहिये.
3- मुसलमानों को आग्रह्पूर्वक रोका जाना चाहिये.
4- जो मुसलमान यहाँ से चले गये हैं उनकी संपत्ति का भुगतान होना चाहिये.
5- पाकिस्तान को 55 करोड़ देना चाहिये.

…और मैं हर गांधीवादी से पूछता हूँ कि निहत्थे और महान “भीष्म” को क्यों “हटाना” पड़ा और हटाने वाला अर्जुन “पापी” क्यों कर हुआ?

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