ज़रूरी नहीं कि राजनीति हर किसी को समझ आती हो, समझ आना भी आसान नहीं है, इसकी डगर इतनी टेढ़ी मेढ़ी जो है.
लेकिन यदि समझ नहीं आती तो कम से कम चुप बैठ कर देखते रहिये जल्दी ही समझ आने लगेगी. शोर मचाने से ना तो समझ आएगी उल्टे आप हंसी का पात्र बन जाएंगे.
राजनीति में सही और गलत नहीं होता, सिर्फ जीत होती है और अपने आप को सही साबित करना होता है.
जिस प्रकार से टेलीविज़न चैनल्स राजनीति खेल रहे हैं उस से देश की जनता को संभालना ज़रूरी हो गया है.
मैंने पहले ही कहा था कि यदि आपने एक पत्थर उठाया तो ये न्यूज़ चैनल्स आपको गुंडा हिन्दू आतंकवादी और ना जाने क्या क्या कहेंगे.
हुआ भी वही, स्कूल बस पर पड़े एक पत्थर ने पूरे आंदोलन की तस्वीर ही बदल कर रख दी. जो दिखता है वही बिकता है. जनता भी धीरे से किनारे हो ली, ख़ैर.
कासगंज में तिरंगा रैली पर हमला हुआ. तिरंगा थामे एक बच्चे की जान चली गयी.
मेरा सबसे पहला रिएक्शन था उस घटना को ABVP या किसी भी संगठन से अलग कर सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रवाद से जोड़ना, क्योंकि मुझे पता था अगर इसमें किसी संगठन का भी नाम आया तो इसे फिर से हिन्दू फ्रिंज एलिमेंट्स, हिन्दू आतंकवाद से जोड़ दिया जाएगा.
हुआ भी वही. चैनल्स ने भरसक प्रयास किये इसे ABVP से जोड़ने के, तो कभी भगवा झंडे से जोड़ने के.
फ़ेसबुकिया समाज भी आग बबूला हो गया… बोला, ABVP सामने नहीं आ रहा… ऐसा और वैसा.
मैं बार बार समझाता रहा कि ये सोची समझी रणनीति के तहत है, पर कुछ लोग ना माने.
चंदन के माता पिता ने भी इसकी तस्दीक की कि उनका बच्चा किसी संगठन नहीं बल्कि बाइक पर तिरंगा ले कर भारत माता के नारे लगा रहा था इसलिए गोली मारी गयी.
जबकि चैनल्स पूरी ताकत लगाते रहे कि किसी प्रकार इसे हिन्दू एंगल से जोड़ दिया जाएं ताकि जेहादियों को पाक साफ बताया जा सके.
हज़ारों दलीलें दी गयी, पर एक भी काम ना आई. अगर एक बार भी वे इसे किसी हिन्दू संगठन की रैली साबित कर देते तो आज चैनल्स पर हिन्दू आतंकवाद छाया होता.
चैनल्स चीख चीख कर बता रहे होते कि हिन्दुओं ने मुस्लिम इलाके में घुस कर दंगा किया, हिन्दुओं ने मुसलमानों पर हमला किया.
नई कहानियां गढ़ दी जातीं, जो नहीं हुआ वो बता दिया जाता, और ऐसे में मुआवजा तो दूर की कौड़ी होती सिर्फ और सिर्फ बदनामी ही हाथ लगती. और इन कहानियों में उलझे आप भी यही सोचते कि यार ये हिन्दू भी अति करते हैं.
इसलिए हे मित्रों अपना हाजमा थोड़ा और ठीक कीजिये और दूर की सोच विकसित कीजिये, जिस चीज़ के दूरगामी परिणाम आपको दिखाई नहीं दे रहे उंस पर दूसरे पर विश्वास करना सीखिए.
मोदी और योगी जिंदगी भर घास छील कर PM और CM नहीं बने बल्कि अपनी काबिलियत के दम पर बने हैं, इसलिए उन पर भरोसा रखिये.