इन सवालों का उत्तर तो नहीं देगा कोई, लेकिन सवाल तो हैं

दूध, स्तनधारी प्राणियों की मादाओं में ही आता है. वह भी सदैव नहीं, बच्चा जनने के बाद, कुछ समय तक, जब तक कि बच्चा अन्य अन्न खुद खाने के लिए सक्षम न हो जाये. उसके बाद सहसा दूध आना बंद होता है.

दुबारा जब बच्चा पैदा होता है तब दूध फिर से आता है, फिर वही चक्र.

कुछ अपवादों में दूध औसत से बहुत ज्यादा समय तक चलता रहता है लेकिन वे अपवाद हैं. वहाँ भी अगर दुबारा गर्भधारणा हुई तो दूध बंद होता ही है.

याने अगर आप ने दूध के लिए कोई पशु पाला है तो एक पशु से आप को अनवरत दूध मिलने से रहा.

कई मादा पशु पालने होंगे ताकि दूध की सप्लाई मिलती रहे.

और गर्भधारणा के लिए नर की व्यवस्था भी करनी ही होगी. स्ट्रॉ का चलन तो बहुत पुराना नहीं है, सत्तर साल पहले कौन सी स्ट्रॉ से फलन होता था?

और जो नर बच्चे पैदा होते हैं उनका क्या?

गो वंश और भैंस की बात करें तो नर को कृषि तथा मेहनत के कर्मों में काम लाया जाता है. गधा भी भारवाहन में काम आता है. बकरी को कौन जोतता है?

बापू, हमेशा बकरी का दूध पीते थे.

अभी इन सवालों का उत्तर तो नहीं देगा कोई लेकिन सवाल तो हैं.

गर्भधारणा के लिए बकरे कहाँ से आते थे और जो भी नर पैदा होते थे उनका क्या होता था?

अहिंसा परमो धर्म

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