भारत के 69वें गणतंत्र दिवस की परेड के आयोजन में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के बैठने का विवाद समाचारो और सोशल मीडिया में देखा.
कई लोगों ने लिखा कि वे भाजपा के समर्थक है, लेकिन राहुल को एक प्रमुख पार्टी के मुखिया के रूप में प्रथम पंक्ति में बैठना चाहिए था.
क्या प्रोटोकॉल आपकी भावनाओं या सोच के अनुसार चलता है?
क्या फिर सारे पार्टी के मुखिया को प्रथम पंक्ति में बैठना चाहिए था?
या फिर लोकसभा में सबसे अधिक सीटों या किसी एक प्रदेश में सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाली पार्टी या फिर किसी भी राज्य या केंद्र में सत्ता से बेदखल लेकिन भारत में सबसे अधिक मत प्राप्त करने वाली पार्टी के अध्यक्ष को कहाँ बैठना चाहिए?
शरद यादव को कहाँ बैठना चाहिए जो अब सांसद नहीं है, लेकिन एक वरिष्ठ राजनैतिक और एक पार्टी के अध्यक्ष रहे है?
मुलायम का क्या जो सांसद है, लेकिन अब पार्टी अध्यक्ष नहीं है, लेकिन वह तब विधायक बने थे जब राहुल पैदा भी नहीं हुए थे?
या प्रकाश करात को कहाँ बैठाएं जो सबसे बड़ी ‘बुद्धिजीवी’ पार्टी के कर्ता-धर्ता है, लेकिन उनका अस्तित्व केरल और त्रिपुरा के बाहर ना के बराबर है?
आप पूछेंगे कि राहुल के आगे कई महिलाएं और बच्चे बैठे थे.
इसका जवाब यह है कि ऐसे समारोह में मंत्री और सांसद सपरिवार बुलाये जाते हैं; आप प्रोटोकॉल से एक बड़े उत्सव में सीट तो निर्धरित कर सकते है, लेकिन कौन कहाँ बैठेगा, यह नहीं.
इसका उत्तर है प्रोटोकॉल के नियम में राजनैतिक दलों के अध्यक्षों को कोई स्थान नहीं दिया गया है. सांसद 21वीं पायदान पर बैठे है. प्रोटोकॉल की लिस्ट का लिंक यह रहा –
नीचे दिया गया लिंक G-20 समिट का है जिसमें मैं आपसे यह प्रश्न पूछता हूँ कि राष्ट्रपति ट्रम्प और माक्रों को एकदम किनारे पर क्यों खड़ा किया गया है और प्रधानमंत्री मोदी को दूसरी पंक्ति में? क्या यह पहले आओ और पहले खड़े हो जाओ के सिद्धांत पर है?
देखिए ये चित्र : https://cdn.cnn.com/cnnnext/dam/assets/170707093541-g20-class-photo-annotated-super-169.jpg
अगर आपको प्रोटोकॉल के बारे में नहीं पता तो अपना मुंह बंद रखें. कम से कम लोग भ्रम में आपको बुद्धिमान तो समझेंगे. मुंह खोलने से यह डर है कि लोग आपकी ‘बुद्धिमता’ की असलियत समझ लेंगे.