Extra Marital Affairs : व्यक्तित्व की भूमि को उर्वरा बनाइये, बंजर नहीं

दो साल पहले सोशल मीडिया पर मैंने एक स्टेटस डाला था – गैर मर्द का ख़याल आना पाप नहीं प्रकृति है. नहीं आता है तो दो ही कारण है या तो आप पहुंचे हुए सिद्ध योगी हैं या कहीं न पहुँच सकने वाले भोगी.

एक सन्देश एक पुरुष मित्र का भी आया जिन्होंने अपना नाम ज़ाहिर न करने के वादे पर इसे प्रकाशित करने को कहा. –

मैं एक 25 वर्षीय विवाहित हूँ. मेरी शादी को 3 साल हुए हैं. आपकी recent पोस्ट पढ़ी तो मन हुआ ये आपसे शेयर करूँ. मेरी arrange marriage हुई थी और हम दोनों एक दूसरे को बेहद प्यार करते हैं. हम दोनों के बीच सब कुछ एकदम अच्छा चल रहा है.

अभी कुछ दिनों पहले मेरी पत्नी के व्यव्हार में कुछ बदलाव notice किया तो उसे विश्वास में लेके पूछा कि बात क्या है?

तो उसने हीनभावना से ग्रसित होते हुए बताया कि पिछले दिनों हुए एक छोटे फंक्शन में किसी लड़के की तरफ वो आकर्षित हुई थी कुछ पल के लिए. हालांकि ना वो दुबारा दिखा और ना वो उसे जानती है. पर उसके बाद उसके मन में हीनभावना घर कर गयी. जब मैंने ज़ोर देकर पूछा तो उसने सारी बात बता दी.

मैंने उस से कहा कि इस में कुछ प्रॉब्लम नहीं. ये नार्मल है. हमें बस अपनी हदें पता रहनी चाहिए और हमारे मन में जो चल रहा हो उसका और किसी को अंदाज़ा नहीं होना चाहिए वरना उसका गलत फायदा उठाया जा सकता है. रही बात मेरी तो मेरा तो बस यही सोचना है कि मुझे तुम पर पूरा भरोसा है और मैं तुम्हारा भरोसा कभी किसी भी सूरत में नहीं तोड़ूंगा.

हालांकि उस के बाद सब कुछ नॉर्मल हो गया पर फिर भी कुछ आपसी पलों में वो हीन भावना फिर उसे परेशान कर रही है. हम दोनों एक दूसरे से कुछ भी नहीं छुपाते हैं. लेकिन क्या ये बात मुझे उतना ज़ोर देकर नहीं पूछनी चाहिए थी? या क्या उसे ये बात मुझे नहीं बतानी चाहिए थी?

मेरे मन में इस बात को लेकर कोई शिकायत नहीं है. मुझे किसी तरह से कुछ करना चाहिए तो plz राय दें.

मैंने उनको यूं जवाब दिया –

यहाँ आपको दो परिस्थितियों की कल्पना करनी होगी.
पहली, मान लो अभी आपका विवाह नहीं हुआ है लेकिन जिससे प्यार करते हैं, उसकी सहेली से पहली बार मिलने पर आप उसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं. तब भी क्या आपके अन्दर वही हीन भावना आएगी जो पत्नी को विवाह के बाद आई?

दूसरी, लोग हनीमून पर अधिकतर पहाड़ी या ख़ूबसूरत जगहों की तलाश क्यों करते हैं, इसलिए ना ताकि आपके प्रेम में और अधिक रोमांच पैदा हो?

पहली स्थिति में आप यदि होने वाली पत्नी से सहेली के प्रति हुए आकर्षण को छुपा जाते हैं तो आप अपने अन्दर कुंठा का वो बीज बो रहे हैं जो जब वटवृक्ष बनेगा तो कहेगा अरे यार इससे तो तुम्हारी सहेली से शादी कर लेता तो अच्छा था, या फिर पत्नी से छुपाकर ऐसे कई आकर्षणों को मूर्तरूप दे चुके होंगे आप.

लेकिन सहेली से पहली मुलाक़ात पर ही यदि आप उसकी सुन्दरता या जिस वजह से आकर्षित हुए हैं उसे प्रकट करते हुए प्रशंसा के शब्द कह देते हैं या होनेवाली पत्नी को कोहनी मारते हुए प्यार से ये कह देते हैं कि तुम्हारी सहेली भी तुम्हारी तरह प्यारी है, तो उस स्थिति में आपने हृदय में उठ रही पुलक को अपने जीवन साथी तक पहुंचाकर बातों को उस फूल में तब्दील कर दिया है जिसकी खुशबू आपके संबंधों को और महका जाएगी.

बशर्ते आपका जीवन साथी भी उसी सौंधी मिट्टी का बना हो जिस पर ये फूल आसानी से लग जाते हैं लेकिन यदि आपको उस भूमि के उर्वरा होने पर ज़रा भी शंका है तो पहले उसे अपने भीने प्यार से नम कीजिये, बातों और स्पर्श की खाद से उसे उर्वरा बनाइए, रिश्ते की प्रगाढ़ता के जल से सींचिए फिर उस पर ऐसे फूलों की वर्षा कीजिए, ताकि आपकी बातों के फूल उसकी ज़मीन पर पड़ते ही मुरझा न जाए.

अब ये आपके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है कि आप इसे किस तरह सफलता पूर्वक कर पाते हैं. ये बातें जितनी पुरुष द्वारा महिला की ओर आकर्षित होने पर लागू होती हैं उतनी ही महिला द्वारा किसी अन्य पुरुष की ओर आकर्षित होने पर लागू होती है, फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि ये घटना शादी के पहले हुई या बाद में.

दूसरी परिस्थिति में आप हनीमून पर गए हैं और नजारों की सुन्दरता को आँखों में भरकर उसे प्रेम में तब्दील करते हैं, आप नई नई शादी के बाद रोमांटिक फिल्म देखते हैं, कुछ अधिक आधुनिक हुए तो पोर्न मूवीज़ भी देखते हैं, क्यों, इसीलिए ना कि ये प्रेम में रोमांच को बढ़ाता है.

लेकिन पहाड़ी नजारों या रोमांटिक फिल्म के हीरो हिरोइन के बजाय जब वास्तविक जीवन का कोई और व्यक्ति होता है, तो आपकी भावना अचानक क्यों बदल जाती है? तब रिश्तों में वही रोमांच क्यों नहीं पैदा होता जो खूबसूरत नजारों को आँखों में भर लेने से होता है.

पहाड़ों की खूबसूरती को आप केवल आँखों में भरकर उसकी कल्पना को घर लाते हैं, उन पहाड़ों को घर नहीं ला सकते, ना ही फ़िल्मी हीरो हिरोइन को घर लाने का ख़्वाब पाल लेते हैं.

ऐसे ही किसी अन्य व्यक्ति का ख़याल आपके रिश्ते को रोमांचित करता है तो पारस्परिक सहयोग और हलके-फुल्के मज़ाक के साथ उसकी कल्पना को बांहों में भर लेने का ख़याल कोई पाप नहीं हो जाता. उसे हम कल्पना में जीकर वास्तविक रिश्ते को और अधिक मजबूत बना सकते हैं.

यहाँ ये बात ज़रूर उठेगी कि पहाड़ों और फ़िल्मी हीरो हिरोइन तक हमारी पहुँच नहीं होती, लेकिन वास्तविक जीवन में जिस व्यक्ति तक आपकी पहुँच है वो रिश्ते को प्रभावित कर सकता है. तो भई मैं यहाँ भी वही बात कहूंगी कि आपकी मिट्टी की तरह जीवन साथी की मिट्टी भी सौंधी और उर्वरा है तो ही बातों के फूल की खुशबू से आपका रिश्ता और महकेगा. लेकिन बंजर भूमि पर आप कितना भी खाद पानी डालते रहो, प्रेम का फूल कभी नहीं खिलेगा.

फिर आपको विवाह की वेदी को साक्षी मानकर रिश्ते को जीवन भर मजबूरी के नाम पर ढोते रहना होगा, उसे बदलना होगा, या उस कुंठा के बीज को अपनी आँखों के सामने वटवृक्ष बनते देखना होगा.

आपके पास दोनों विकल्प है और आपके व्यक्तित्व की मिट्टी कितनी उर्वरा है ये आपसे बेहतर कौन जान सकता है.

Extra Marital Affairs : गैर मर्द का ख़याल पाप या प्रकृति?

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