डिजिटल युग में बदल गए हैं प्राइवेसी के मायने

एक अंग्रेजी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि आपका आधार नंबर सेफ नहीं है. रिपोर्टर ने लिखा कि उन्होंने वॉट्सएप के जरिए सर्विस देने वाले एक ट्रेडर से आधार कार्डधारकों की जानकारी जैसे कि नाम, पता, जन्म तिथि आदि खरीदी. जिसके लिए उसे 12 डिजिट वाला यूनीक आइडेंटिटी नंबर दर्ज करना होता था.

मज़े की बात यह है कि अमेरिका में आप किसी भी व्यक्ति का नाम और उसका शहर डालकर उसके बारे में सारी जानकारी एकत्र कर सकते हैं.

अगर आप के पास उसका टेलीफोन नंबर है, तो उससे भी सारी जानकारी मिल जाएगी.

सिर्फ Google में डालिए और वह आपको कई ऐसी कंपनी की वेबसाइट पर ले जाएगा जो मात्र 65 रूपए से 330 रूपए ले कर आप को उसका सारा कच्चा-चिट्ठा खोलकर बता देंगे.

इन जानकारियों में उसका फोन नंबर, सारी प्रॉपर्टी का विवरण, ईमेल, उम्र, पता, इनकम, उसके अपराध का रिकॉर्ड, क्या वह किसी सेक्स अपराध में शामिल था, यह सब आपको मिल जाएगा.

इसके अलावा उसके परिवार के सदस्यों की भी पूरी जानकारी मिल जाएगी, यह भी कि वह कहां पढ़े हैं और कितनी जगह पर नौकरी की है.

अमेरिका में अगर कोई व्यक्ति अपना नाम गूगल पर डाले तो उसे फ्री में ही इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि उसके पास क्या प्रॉपर्टी है, कौन-कौन उस प्रॉपर्टी का स्वामी है, कितना लोन है, और कितने डॉलर में वह प्रॉपर्टी किस दिन और किस व्यक्ति से खरीदी गई है.

और तो और अगर आप ब्रिटेन में किसी कंपनी के स्वामित्व का पता करना चाहते हैं तो वह भी इंटरनेट पर फ्री में उपलब्ध है.

भारतीय समाचार पत्रों ने ऐसे ही पता लगाया था कि विजय माल्या और राहुल गांधी की वहां पर क्या-क्या प्रॉपर्टी है और उनका सिविल स्टेटस यानी कि नागरिकता का स्टेटस क्या है?

इसके अलावा कोई भी कंपनी या व्यक्ति अमेरिका में कुछ विशेष कंपनी को पैसा देकर मेरी क्रेडिट हिस्ट्री – यानी कि मेरे पास कितने क्रेडिट कार्ड हैं, उस क्रेडिट की क्या सीमा है, मैंने क्रेडिट कार्ड का कैसे प्रयोग किया, और मेरे क्रेडिट पेमेंट या लोन चुकता करने का क्या रिकॉर्ड है – पिछले कितने भी वर्षों का रिकॉर्ड वह चाहें, मिल जाएगा.

इसके लिए क्रेडिट कार्ड का डाटा रखने वाली कंपनी को मेरी परमिशन की आवश्यकता नहीं है.

मुझे भी साल में एक बार यह जानकारी फ्री में प्राप्त करने का अधिकार है कि किसने मेरे क्रेडिट कार्ड का रिकॉर्ड खरीदा.

हर बार मैं देखता हूं कि बैंक या इंश्योरेंस कंपनी मेरे क्रेडिट कार्ड का रिकॉर्ड उस कंपनी से खरीदते रहते हैं.

कई बार भारत में मित्रों ने किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर एक फ़ोन पर SMS किया तुरंत उस गाड़ी के मालिक और उसका पता SMS पर आ गया.

बायोमेट्रिक तथा अन्य निजी सूचना केवल एप्पल या सैमसंग फ़ोन के पास ही नहीं है, बल्कि उन सारे स्मार्टफोन जो एंड्राइड प्लेटफार्म पर बने हैं (एप्पल के अलावा बाकि सारे स्मार्टफोन एंड्राइड तकनीकी का प्रयोग करते हैं), उनके पास भी होती है.

आज के डिजिटल युग में प्राइवेसी के मायने बदल गए हैं. सारी की सारी व्यक्तिगत सूचनाएं वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.

अतः ऐसे वातावरण में इस बात की सनसनी फैलाना कि आधार नंबर डालकर फलानी जानकारी मिल गई, यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं है. यह सिर्फ आपकी बदनीयती दर्शाती है.

प्रश्न यह है कि क्या आप को बायोमेट्रिक सूचना मिली?

उत्तर है : नहीं.

तो हल्ला फिर किस बात का है?

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