दो किलो धूल के लिए ‘ऐस्टरॉइड’ की सवारी

8 सितंबर 2016 को मानवता अपने उद्गम की खोज करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ी. नासा ने एक स्पेसक्रॉफ्ट लॉन्च किया, ओसिरिस रेक्स. इसका उद्देश्य मानव की उत्पत्ति के बारे में कोई ठोस प्रमाण लेकर वापस लौटना है. पृथ्वी के नज़दीक एक ऐस्टरॉइड घूम रही है, जिसे ‘ 101955-बेन्नू’ नाम दिया गया है. 492 मीटर लंबी ये उल्का कार्बनमय है. ये ऐस्टरॉइड सुपरनोवा से आई है. उन्हें ‘लाल दानव’ भी कहा जाता है.

‘अक्रीशन थ्योरी’ के अनुसार ऐस्टरॉइड पर मौजूद ये कॉर्बन मटेरियल 4.5 बिलियन वर्ष पहले का है जब हमारे सौर मंडल का जन्म हो रहा था. ओसिरिस रेक्स अगस्त 2018 में इस भीमकाय ऐस्टरॉइड के करीब पहुंचेगा. ये बेन्नू के धरातल की मैपिंग करेगा ताकि ‘सैम्पल’ कलेक्ट करने के लिए मुनासिब जगह ढूंढी जा सके. बेन्नू बहुत तेज़ गति से घूम रही है और इसका धरातल भी असामान्य है इसलिए सावधानी बरती जाएगी.

सैम्पल कलेक्ट करने के लिए ओसिरिस रेक्स में एक रोबोटिक आर्म अटैच्ड की गई है. ऐस्टरॉइड एक ‘टाइम कैप्सूल’ है जिसमें हमारे जन्म की कहानी छुपी हुई है. रोबोटिक आर्म वहीं से सैम्पल उठाएगी जहाँ उसे ‘कारबोनकेयस धूल’ मिलेगी. यही वह धूल है जिसमें इसका जवाब मिलेगा कि ‘हम कौन हैं और कहाँ से आए हैं’, ‘हमारा बेहतरीन बायोलॉजिकल सूट (त्वचा) किस सितारे की धूल से बना है’.

सन 2020 में ओसिरिस रेक्स से लगभग दो किलो ‘कारबोनकेयस धूल’ लेकर एक ‘कैप्सूल’ पृथ्वी पर वापसी के लिए रवाना होगा. इसका लौटने का साल सन 2023 होगा. बेन्नू बहुत आक्रामक और गुस्सैल ऐस्टरॉइड है. सन 2170 में इसके पृथ्वी से टकराने की आशंका है. इस कारण से भी बेन्नू का अध्ययन आवश्यक है.

फोटो: ओसिरिस रेक्स ने पृथ्वी को अलविदा कहते हुए 2 अक्टूबर 2017 को ये इमेज भेजी थी. उस वक्त ये पृथ्वी से पांच मिलियन किलोमीटर दूर था

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