फेसबुक पर मेरी पोस्ट को कई मित्र शेयर करते है. उन पर कई कमेंट भी आते है.
अगर कमेंट करने वाला व्यक्ति मेरी मित्र सूची में नहीं है तो मैं जवाब नहीं देता.
कुछ कमेंट्स में निराशा दिखाई देती है कि फलाने-ढिकाने के कारण भाजपा चुनाव हार जाएगी.
इसके अलावा मित्रो में कुछ आक्रोश भी दिखाई देता है कि इस बन्दे या उस देशद्रोही को अरेस्ट क्यों नहीं किया गया?
आतंकवाद फ़ैलाने वाले आतंकी देश को आतंकी देश क्यों नहीं घोषित किया गया?
या फिर उस देश से मोस्ट फेवर्ड नेशन का स्टेटस क्यों नहीं हटा रहे?
विकास दर में कमी हो गयी… इत्यादि, इत्यादि.
कुछ प्रश्नों के जवाब देने का प्रयास करता हूँ.
भाजपा का अगला चुनाव हारने की सम्भावना क्षीण है. जैसा कि मैंने पिछले लेख में लिखा था कि पिछले वर्ष ऐसे लाभार्थियों – जिनके बैंक अकाउंट में मोदी सरकार ने सीधे सब्सिडी का ट्रांसफर किया – की संख्या 60 करोड़ पहुँच गयी.
यानि की भारत की जनसँख्या का लगभग आधा भाग. (इन लाभार्थियों में से कई को एक से अधिक लाभ – जैसे की मनरेगा, अन्न, गैस, इत्यादि – मिल रहा होगा. अतः व्यक्तिगत लाभार्थियों की संख्या कम हो सकती है.) उनको लाभ सीधे-सीधे ‘दिखाई’ दे रहा है.
यह है स्मार्ट गवर्नेंस या प्रशासन.
आतंकी देश को आतंकी देश क्यों नहीं घोषित कर रहे? अगर घोषित कर दिया, तो आपको अपनी एम्बेसी और कांसुलेट हटानी पड़ेगी. इसके साथ अपने ‘एजेंट’ जो वहां की ‘व्यवस्था’ पर ‘निगाह’ रखते है.
अगर किसी अन्य देश ने उस आतंकी को आतंकी घोषित नहीं किया, तब आप अकेले क्या करेंगे? आतंकी घोषित करने के बाद आप का अगला कदम क्या होगा?
मोस्ट फेवर्ड नेशन का स्टेटस देने या ना देने से भी दोनों देशो के बीच व्यापार होगा. अभी व्यापार भारत के फेवर में है; निर्यात-आयात के समीकरण के बाद, भारत को उस देश से 8000 करोड़ रुपये से अधिक की प्राप्ति हो रही है.
फिर, मोस्ट फेवर्ड नेशन स्टेटस की प्रोपेगंडा वैल्यू भी देखिये. हर जगह बताया जाता है कि हमने तो उस आतंकी देश को मोस्ट फेवर्ड नेशन बना रखा है, जबकि वह हमारे यहाँ आतंकी भेजता है.
कुछ समय के लिए विकास दर में कमी आनी ही है, अगर रचनात्मक विनाश करेंगे.
प्रश्न यह भी पूछना चाहिए कि नोटबंदी से नक्सलियों, आतंकियों और पत्थर फेंकने वालो पर क्या असर हुआ?
क्या विकास दर के नाम पर दो लाख से अधिक फर्जी कम्पनियाँ चलने देना चाहिए था (फर्जी कंपनियों का फर्जी आदान-प्रदान जीडीपी में जुड़ जाता था)?
क्या GST लागू नहीं होना चाहिए था?
वर्ष 2008-09 में GDP की वृद्धि दर घटकर 6.72% क्यों रह गई? क्यों? तब ना तो नोटबंदी थी, ना ही GST?
भारत को इस समय घटित हो रही डिजिटल क्रांति के लिए सरकार कैसे तैयार करेगी? क्या पुराने तरीके से बिज़नेस कर के?
कुछ समय पहले Q1 (April-June 2017) में ग्रोथ 5.7% थी, तब भी मीडिया ने शोर मचाया था. अब Q3 (October-December 2017) में 6.5% है? यह वृद्धि कैसे हो गयी? क्या इस पर विचार नहीं होना चाहिए?
जहाँ तक अरेस्ट करने की बात है, ‘वे’ चाहते है कि सरकार उन्हें अरेस्ट कर ले. उसके बाद उनका प्रोपेगंडा देखिएगा.
हम सबने उस पंडित जी की कहानी सुनी होगी जिसकी चोटी एक छोटा बच्चा खींच के भाग जाता था. बदले में, पंडित जी उसे डांटते नहीं थे, बल्कि एक रुपये दे देते थे.
फिर, एक दिन उस बच्चे ने पहलवान की चोटी खींच दी. मोदी-शाह बस इंतज़ार कर रहे कि कब वह ‘बच्चा’ पहलवान की चोटी खींचे…
अंत में, इंडिया गेट पर सभी प्रधानमंत्री क्यों श्रद्धांजलि अर्पित करते है (‘उन्होंने’ सलाम ठोकने शब्द का प्रयोग किया है; अतः सतर्क रहे)?
इंडिया गेट भारतीय सेना के 70,000 सैनिकों के बलिदान का स्मारक है जिन्होंने अंग्रेजों की सेना में लड़ते हुए प्रथम विश्व युद्ध के दौरान विदेश में शहादत प्राप्त की. इंडिया गेट में राष्ट्र उनको नमन करने जाता है.