किसी की सुन भी नहीं रहा बाबा! क्या सचमुच?

मुख्यमंत्री योगी के कार्यभार संभालने के कुछ माह बाद से ही उत्तरप्रदेश की सत्ता तथा राजनीतिक गलियारों के साथ ही साथ प्रशासनिक तंत्र में एक चर्चा सुनियोजित तरीके से गर्म की गई.

चर्चा यह कि बाबा खुद कुछ कर नहीं रहा और किसी की सुन भी नहीं रहा इसीलिए किसी का कोई काम ही नहीं हो रहा. प्रदेश में सारे काम ठप्प पड़े हुए हैं.

यह चर्चाएं आज भी ठंडी नहीं हुई हैं.

ऐसी चर्चाओं को गर्म करनेवाले समूह के सदस्यों में भ्रष्ट अधिकारी/ कर्मचारी/ ठेकेदार/ पत्रकार और पार्टी कार्यकर्ता /नेता की नकाब पहने विशुद्ध दलाल बड़ी संख्या में शामिल हैं.

लेकिन वास्तविकता क्या है, इसे इस एक ताज़ा घटनाक्रम से समझिये.

मेरे एक घनिष्ठ मित्र का निकट सम्बन्धी युवा आजकल लखनऊ आया हुआ है. वो न्यू ज़ीलैंड में जिस कम्पनी में कार्य करता है वो कम्पनी बिजली और पानी की बरबादी जांचने और रोकने के उपकरण भी बनाती है.

मित्र के सम्बन्धी उस युवा ने यहां बिजली-पानी की चोरी सरीखी समस्याओं को देखकर मित्र से अपनी कम्पनी के उन उपकरणों का जिक्र करते हुए कहा कि वो उपकरण यहां के लिए वरदान सिद्ध हो सकते हैं.

मित्र ने उसे सलाह दी कि वो यहां सम्बन्धित विभागों के जिम्मेदार लोगों से मिलकर उन्हें यह जानकारी दे. उसने इसका प्रयास किया तो मुलाक़ात में ही असफल रहा.

एक दो जगह हम लोगों ने किसी तरह उसे पहुंचाया भी तो उसकी बात में रुचि दिखाने के बजाय उन दरबारों के दरबारियों ने उस नौजवान की खिल्ली उड़ाने में ज्यादा रुचि ली.

परिणामस्वरूप मित्र ने उसे सलाह दी कि तुम मुख्यमंत्री योगी के जनता दरबार में जाकर सीधे उनसे अपनी बात कहने का प्रयास करो.

सलाहनुसार वो योगी के जनता दरबार में भी पहुंच कर कतार में खड़ा हो गया. लोगों की समस्याएं सुनते हुए जब मुख्यमंत्री योगी उसके पास पहुंचे तो उसने अपनी बात कहनी प्रारम्भ की.

कुछ क्षण उसकी बात सुनकर योगी ने उसे रोकते हुए कतार से अलग हटा कर एक तरफ इशारा करते हुए कहा कि तुम वहां बैठो.

जनता दरबार खत्म होते ही मुख्यमंत्री योगी उसके पास आकर बैठ गए और 7-8 मिनट तक उसकी बात ध्यान से सुनने के बाद हंसते हुए बोले कि बेटा यहां तो सब लोग समस्याएं लेकर आते हैं, तुम तो समाधान लेकर आये हो.

इसके बाद अपने एक वरिष्ठ अधिकारी को बुलाकर उन्होंने उस युवा को यह कहते हुए अधिकारी को सौंप दिया कि इनकी पूरी बात समझकर सब जानकारी लेकर मुझे रिपोर्ट दीजिएगा.

उन अधिकारी महोदय ने उस युवा को अपने कक्ष में ले जाकर उसकी समुचित आवभगत की तथा उसकी बात विस्तार से समझी, उन उपकरणों की गहन जानकारी ली तथा उसे आगे क्या करना है, कैसे करना है, की जानकारी देते हुए उसको अपना निजी मोबाइल नम्बर और ईमेल दिया तथा उसका नम्बर और ईमेल लिया.

मुख्यमंत्री आवास से वापस लौटा 23-24 वर्ष का वह युवा मुख्यमंत्री योगी के व्यवहार से अभिभूत था, एक नई ऊर्जा से सराबोर था.

केवल 3-4 दिन पुराना उपरोक्त घटनाक्रम साक्ष्य है इस बात का कि अपने 9 महीनों के अब तक के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी ने सिर्फ वही काम किया है, उसी काम में रुचि दिखाई है जो जनता के हित से जुड़ा हुआ है.

ट्रांसफर, पोस्टिंग, ठेके, पट्टे में होने वाली दलाली पर मुख्यमंत्री योगी ने कठोर प्रहार कर उस पर अंकुश लगाने में काफी हद तक सफलता पाई है.

इसीलिए कोई आम नागरिक काम ना होने का रोना रोता नहीं मिलेगा लेकिन भ्रष्ट अधिकारी/ कर्मचारी/ ठेकेदार/ पत्रकार और पार्टी कार्यकर्ता/ नेता की नकाब पहने विशुद्ध दलालों का योगी विरोधी गठजोड़ बुक्का फाड़ कर यह रोना रोता जरूर मिलेगा कि प्रदेश में कोई काम ही नहीं हो रहा.

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