वर्तमान में पृथ्वी के चारों ओर लगभग एक लाख सेटेलाइट भ्रमण कर रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि इनमें से एक सेटेलाइट ‘हमारा नहीं है’. इन एक लाख के बीच घूम रहे इस सेटेलाइट की कोई ‘पहचान’ नहीं है.
एक सदी पहले महान अन्वेषक निकोला टेस्ला को इस सेटेलाइट की टोह मिली थी. पिछले साठ बरस में ‘ब्लैक नाइट सेटेलाइट(Black Knight satellite)’ की सैकड़ों कहानियां बाहर आई हैं और अमेरिका हमेशा की तरह अनर्गल तर्क देकर इसको ‘कवरअप’ करता आया है. निकोला टेस्ला के समय में सेटेलाइट होने की बात मज़ाक नहीं तो और क्या है. 4 अक्टूबर 1957 को रूस ने दुनिया का पहला सेटेलाइट ‘स्पूतनिक’ अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया था तो ये ‘ब्लैक नाइट सेटेलाइट’ नाम की बला कहाँ से आई.
ये 1932 का साल है. सर्बियन अन्वेषक निकोला टेस्ला ‘कोलोरेडो स्प्रिंग्स लेबोरेटरी’ में काम कर रहे हैं. एक रात उनका रेडियो रिसीवर आश्चर्यजनक ध्वनि तरंगे ग्रहण करता है. ये तरंगे ‘लयबद्ध’ होकर रिसीवर पर आ रही थी. लयबद्ध तरंगे ! निकोला के माथे पर सल पड़ गए. तीस के दशक में ये सिग्नल पृथ्वी के एक छोर से आ रहा था. ये बात विश्वास करने योग्य बिलकुल भी नहीं थी. निकोला ने उस रात का अनुभव लिख छोड़ा है.
‘उस रात में लैब में अकेला काम कर रहा था. उस ‘रिदमिक साउंड’ को सुनकर मुझे जो अनुभूति हुई, मैं कभी नहीं भूल सकता. ये intelligently controlled signals थे जो पृथ्वी के पास ही किसी मशीन से आ रहे थे. ऐसा लगा जैसे मैं किसी महान सत्य का प्रकटीकरण अपनी आँखों से देख रहा हूँ. इस अहसास ने मुझे भीतर ख़ुशी से भर दिया कि मैं इस पृथ्वी पर पहला मनुष्य हूँ जिसने दूसरे ग्रह आए रेडियो संकेत सुने हैं, जो किसी सभ्यता की ओर से भेजे गए हैं.’
(निकोला टेस्ला के लेख ‘टॉकिंग विद प्लेनेट्स’ से)
निकोला का आंकलन था कि उस रात रेडियो सिग्नल किसी और ग्रह से आ रहे थे लेकिन उनको इस बात ने उलझन में डाल रखा था कि इतना स्पष्ट संकेत बिना रुकावट कैसे रिसीव हो रहा है. 1932 के वर्ष में एक अन्वेषक कैसे सोच सकता था कि ये रेडियो संकेत किसी ‘माध्यम’ से उन तक पहुंचाए गए हैं. पिछले साठ बरस से इस मामले की खोज कर रहे खोजियों के मुताबिक़ निकोला ने उस रात ‘ब्लैक नाइट सेटेलाइट’ के माध्यम से उन संकेतों को पकड़ा था.
सन 1954
कई अख़बारों में ये खबर छपी कि अमेरिकी वायुसेना को पृथ्वी के ऑर्बिट में परिक्रमा करती दो सेटेलाइट का पता चला है. जबकि उस वक्त विश्व के पहले सेटेलाइट स्पूतनिक को लॉन्च करने की तैयारी चल रही थी. सिर्फ अमेरिकन वायुसेना ही नहीं बल्कि स्पूतनिक को ट्रेक करते हुए एक बार वेनेजुएला संचार विशेषज्ञों ने भी ‘ब्लैक नाइट’ की मौजूदगी महसूस की थी. वो बिलकुल ख़ुफ़िया जासूस की तरह स्पूतनिक के परिक्रमा पथ की नकल कर रहा था. इसके बाद कई लोगों ने इसकी खोज करना शुरू कर दिया. अधिकांश समय ये सेटेलाइट ‘पोलर ऑर्बिट’ में परिक्रमा करता पाया गया.
Conspiracy Theory
1998 में नासा ने स्पष्टीकरण दिया कि अमुक वस्तु कोई हज़ारों साल पुरानी सेटेलाइट नहीं है बल्कि हमारे सेटेलाइट का ‘अंतरिक्ष कचरा’ है. उन्होंने कहा हमारे ईवीएम मिशन के दौरान एक ‘थर्मल ब्लैंकेट’ ऑर्बिट में खो गया था. ये ब्लैक नाइट और कुछ नहीं बल्कि वहीँ ‘थर्मल ब्लैंकेट है. नासा के कवरअप के बावजूद इस सेटेलाइट को खोजने का रोमांच कम नहीं हुआ है. ‘थर्मल ब्लैंकेट’ का आकार और व्यवहार बिलकुल भी ब्लैक नाइट से मेल नहीं खाता. इसलिए नासा का स्पष्टीकरण किसी के गले नहीं उतर रहा.
फोटो सन 1998 में लिया गया था. इसके बाद नासा ने ‘कवरअप ऑपरेशन’ को अंजाम दिया था.