लड़ाइयाँ सबसे ज्यादा कब होती हैं?
ज्यादातर हमले रात में होते हैं… क्यों? क्योंकि दुश्मन अंधेरे में छुपकर वार करता है.
नहीं दिखाई देना एक बड़ी ताकत है. वही शत्रु ज्यादा खतरनाक है जो दिखाई नहीं देता.
कुछ दिन पहले मैंने कहा – हमारा सबसे बड़ा शत्रु वामपंथ है… तो मेरे एक मित्र ने कहा – क्या बात करते हैं? कहाँ है वामपंथ? बंगाल और केरल छोड़ कर कहीं नहीं है… पूरी दुनिया से खत्म हो गया…
क्या सचमुच वामपंथ खत्म हो रहा है? क्या सोवियत रूस का पतन वामपंथ की हार है? या चाल है?
सच तो यह है कि वामपंथ पहले से कई गुना ज्यादा मज़बूत हुआ है. आज वामपंथ समाज के और जीवन के हर पक्ष में घुस गया है.
पर आज वह किसी कम्युनिस्ट या मार्कसिस्ट नाम से नहीं है, बल्कि उदारवाद और आधुनिकता के नाम पर घूम रहा है.
वह एक पॉलिटिकल पार्टी नहीं है, एक सामाजिक आंदोलन है. पर वह अलग से दिखाई नहीं देता. और उसका दिखाई नहीं देना ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है.
सच तो यह है कि वामपंथ ने अपने मसीहा कार्ल मार्क्स को त्याग दिया है. आज वह उससे कहीं ज्यादा खतरनाक और ज़हरीला हो गया है. समाज के स्थापित मूल्यों और मानकों को बदल रहा है, विकृत और भ्रष्ट कर रहा है.
आज वामपंथ पॉलिटिकल करेक्टनेस के नाम से समाज को संचालित कर रहा है… सत्ता किसी की भी हो, सत्ता का एजेंडा यही निर्धारित कर रहा है…
वामपंथ किन किन रूपों में हमें संचालित कर रहा है, यह पहचानना आज हमारे सामने सबसे बड़ी वैचारिक चुनौती है…
एक उदाहरण दूँ? आप सोचते हैं कि सोवियत रूस के टूटने से वामपंथ पराजित हो गया? तो इसे देखें… क्या आप जानते हैं कि बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन वामपंथी है?
आप उनका प्यादा काट कर खुश हो रहे थे… उन्होंने वज़ीर काट दिया…