गुजरात में भाजपा का हारना लगभग तय था लेकिन फिर भी भाजपा जीत गयी. इस से बहुत सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं.
सबसे पहली बात तो ये कि जब चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भाजपा की हालत बहुत पतली थी तब भी मोदी और अमित शाह का कॉन्फिडेंस देखते ही बनता था.
[संघ की पोल खोल भाग-1 : First Hand Experience]
कहीं ना कहीं उन्हें मालूम था कि येन केन प्रकारेण सरकार तो उनकी ही बनेगी, अब इतना आत्मविश्वास भला कैसे?
अरे उनकी छोड़िये आप सब मेरी फेसबुक वॉल देख लीजिये… जब भाजपा 80 पर थी और कांग्रेस 92 पर तब भी मैं मस्ती में था और मस्ती भरी पोस्ट डाल रहा था.
[संघ की पोल खोल भाग-2 : संघ में जातिवाद]
कई लोगों के फ़ोन आये बोले भाजपा हार रही है और आप मस्त हैं? मैं सबको एक ही जवाब देता “अरे रुको यार अभी जीत जाएगी, परेशान मत हो पक्का जीतेगी चाहें जो हो.”
अब इतना भरोसा भला कैसे? केजरीवाल की AAP 11 सीट्स पर लड़ी उनके समर्थक टीवी चैनल पर लाइव डिबेट में 150 सीट्स का दावा ठोक रहे थे.
[संघ की पोल खोल भाग-3 : कम्युनल संघ]
मैंने कहा, “एक भी सीट नही जीतने दूँगा, सब के सब की जमानत ज़ब्त करवाऊंगा (शब्दों पर ध्यान दें “नही जीतने दूँगा” “सबकी जमानत ज़ब्त करवाऊंगा”). कोई बोला, ‘अरे भाई हार्दिक को देखो’, मैने कहा, “बच्चा है कुछ ना कर पायेगा”.
[संघ की पोल खोल भाग-4 : संघ प्रचारकों का पर्दाफाश]
कल तक मोदी रो रहे थे, ‘मुझे नीच कहा… गुजरात के बेटे का अपमान किया… फलाना ढिकाना’, लेकिन मतगणना से ठीक पहले उनके हाव भाव कैसे बदल गए?
मित्रों, आप सब ने इन बातों पर ध्यान नही दिया पर मैने दिया. इस सब के पीछे थी इंजीनियर्स की लंबी चौड़ी टीम. ये टीम सन् 2012 से दिन रात EVM पर काम कर रही थी, इसमें एक से एक शातिर और एक से एक दिग्गज मौजूद थे.
[संघ की पोल खोल भाग-5 : स्वाधीनता संग्राम और संघ का योगदान]
मैं भी समय समय पर इस टीम का साथ देता रहा और कई ‘कोड्स’ (codes) उपलब्ध कराता रहा. इनके साथ दे रही थी संघियों की टीम जो पिछले 5 साल से सिर्फ EVM पर ही काम कर रही थी.
इसकी भनक मुझे पहले ही लग गयी थी इसीलिए मैं जीत को ले कर इतना आश्वस्त था. मुझे पता था ये दोनों टीम मिल कर भाजपा को हर हाल में जिता देंगे.
[संघ की पोल खोल भाग-6 : आज़ादी का आंदोलन और गद्दार संघ]
जहाँ इंजीनियर्स की टीम ने 2012 से सोशल मीडिया पर मोर्चा संभाल रखा था वहीँ संघियों ने दूर दराज के इलाकों में कमरतोड़ मेहनत कर अपनी पैठ बना ली थी.
इंजीनियर्स ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन फिर भी आशानुकूल परिणाम नहीं मिले. आंतरिक सर्वे में संघ को पता चल चुका था अगर दखल नही दिया तो बच्चे (भाजपा) हार जाएंगे.
[संघ की पोल खोल भाग-7 : स्वाधीनता संग्राम और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]
पहले चरण में पिछड़ने के बाद भाजपा संघम शरणम गच्छामि हुई तो संघ ने अपने बिगड़ैल बच्चे की मदद करना उचित समझा और एक इशारे में सारे आदिवासी और पिछड़े वोट भाजपा की झोली में आ गिरे, यदि संघ मदद नही करता तो लिख लीजिये भाजपा 80 का आंकड़ा नही छू पाती और 72-75 पर सिमट जाती.
[संघ की पोल खोल भाग-8 : राष्ट्रीय ध्वज से नफरत करने वाले और तिरंगा न फहराने वाले संघी]
Conclusion : भाजपा की राज्य सरकार बुरी तरह फ़ेल हुई है, सभी मंत्री फ़ेल हुए हैं, सभी MLAs बुरी तरह फ़ेल हुए हैं, भाजपा नेताओं के घमंड ने नैया ही डुबो दी थी, बेहद घटिया प्रदर्शन रहा भाजपा का, संघ ने डूबी हुई नाव को पार लगाया है. राजनीतिक हलकों में आज इसके चर्चे हैं, अब कांग्रेसी भी संघ की शैली अपनाने की बात कर रहे हैं.
[संघ की पोल खोल भाग-9 : प्रचारकों का पर्दाफाश, प्रचारकों की ऐश, बड़ी गाड़ियां, लक्ज़री लाइफस्टाइल]
अरे मूर्खों, संघ की शैली अपनाने में 90 साल लग जाएंगे, संघ एक दिन में खड़ा नहीं होता, इसलिए सीधे संघ की शरण मे आ जाइये. संघ में किसी भी पार्टी, किसी भी दल से जुड़ा व्यक्ति जा सकता है… कांग्रेसी भी.
[संघ की पोल खोल भाग-10 : डरपोक दब्बू संघ]
और हां नेताओँ को चाहिए दंडवत रहे संघ के आगे अगर चुनाव जीतना है तो, संघ का हर प्रचारक चलता फिरता प्रशांत किशोर है, इसलिए पंगा ले कर आफत मोल मत लेना. शरण में जाइये वो भी दंडवत हो कर, बहुत प्यार मिलेगा, सब कुछ मिलेगा. मैं तो संघ को हिंदूवादी संगठन समझता था पर ये तो राष्ट्रवादी संगठन निकला, कमाल कर दिया संघ ने, क्या ताकत है क्या दमखम है, प्रणाम करता हूँ.