Force Multiplier का अर्थ शब्दकोश ‘बल गुणक’ दिखा तो रहा है लेकिन इस अर्थ में वो मूल वाला ‘फोर्स’ नहीं आ रहा.
मूल ताकत को जो कई गुणा बढ़ाता है उसे फोर्स मल्टीप्लायर कहते हैं. आप बारूद को गोली का फोर्स मल्टीप्लायर कह सकते हैं, क्योंकि गोली का वजन अपने आप में काफी कम होता है, 0.22 की गोली (सीसा मात्र) का वजन केवल 2 ग्राम 600 मिलीग्राम होता है.
कल्पना कीजिये, आप 2.6 ग्राम के सीसे के टुकड़े को किसी पर 50 फीट की दूरी से फेंकते हैं. क्या होगा?
आप को पता है, उसको खरोंच भी नहीं आएगी, अगर वो टुकड़ा उस तक पहुँच भी पाया तो.
लेकिन यही सीसा जब गोली का भाग बन कर राइफल से चलता है तो 150 फीट पर भी जानलेवा होता है. और गोली का वजन कितना होता है? 3.50 ग्राम से 4.50 ग्राम.
उसमें भी कारतूस का वजन निकाल दीजिये तो बारूद का वजन एक ग्राम से भी कम निकलता है. लेकिन यही बारूद उस महज 2.6 ग्राम के सीसे के टुकड़े को 1250 फीट प्रति सेकंड की गति से लक्ष्य तक पहुंचाता है और लक्ष्यभेद कर के उसे धराशायी कर देता है. उसमें उतनी शक्ति भी होती है कि आघात (impact) से उसे गिरा भी दे.
यह क्यों होता है? क्योंकि वह बारूद जल उठता है और अपने जलन से गैस का ऐसा दबाव निर्माण करता है जो गोली को आगे धकेलता है. क्योंकि यह एक मजबूत नलिका (barrel) के अंदर होता है जो गैस से ध्वस्त नहीं होती. तो वह गैस बैरल के खुले द्वार से ही निकलेगा. साथ साथ गोली को प्रचंड ऊर्जा के साथ धकेलते निकलेगा.
और राइफल बैरल की लंबाई रेंज देती है कि गोली कितनी दूर जाएगी. बैरल में जो rifling groove होती है वह गोली को अपने ही आस पर गोल घुमाते (spinning) रखता है जिससे वह गोली रेंज तक सीधा जाती है, भटकती नहीं.
अच्छा, अब तक अगर आप यह समझ रहे हैं कि मैं यह उदाहरण से आप को और कुछ समझाने जा रहा हूँ तो आप सही समझ रहे हैं. बस एक और उदाहरण लेते हैं.
रोग की बात करें. AIDS / HIV, कई बीमारियों के लिए फोर्स मल्टीप्लायर का काम करता है. रोगी के शरीर को इस कदर खोखला कर देता है, उसकी रोगप्रतिकारक क्षमता को इतना ध्वस्त कर देता है कि सामान्य परिस्थिति में जो रोग आराम से झेले जा सकते हैं, वही प्राण हर लेते हैं.
मृत्यु, एड्स / HIV से नहीं होती, मलेरिया, न्यूमोनिया या किसी और सामान्य रोग से होती है जो आज प्राणघातक नहीं माने जाते. दवाओं का भी असर नहीं होता.
यह रहे फोर्स मल्टीप्लायर के परिणाम. अब अपनी बात. आज वामी, इस्लामी का फोर्स मल्टीप्लायर होता है. पहले यह काम सूफी किया करते थे, आज वामी कर रहे हैं.
गोली की बात करें तो वामी वो बैरल और बारूद होता है जो अपनी आग से पैदा की गई गैस से गोली सही दिशा में धकेलता है. बैरल वो अनुशासन होता है जो प्रचार के गैस को चैनल दे देता है और गोली को लक्ष्य पर आघात की ऊर्जा.
इस्लाम विक्टिम की बंदिश छेड़ता है, वामी उसके साज़िंदे और कोरस गायक होते हैं. कोई कव्वाली देखिये, अकेला क़व्वाल बिना कोरस और साज़िंदों के क्या उतना impact छोड़ता है?
AIDS / HIV का उदाहरण समझाने की कितनी आवश्यकता है? बस यह जान लीजिये कि ये रोग होता कैसे हैं.
सब से मुख्य कारण है गलत संगत. दोस्त या सहेलियाँ ही होते हैं जिनके कहने में आकर व्यक्ति पहलकदमी करता है.
दूसरा कारण है गैर ज़िम्मेदारी या दूसरों की बदमाशी. इमरजेंसी में बिना चेक किए खून लेना या फिर डॉक्टर का बिना पर्याप्त सुरक्षा सुई लगवाना. यहाँ आप देखिये क्या लागू होगा.