स्वच्छ भारत के समाचारों में इन्दौर नगर को देश का “नम्बर एक” साफ़ सुथरा शहर घोषित किया गया. समाचारों में यह भी बताया गया कि इन्दौर की खान नदी की सफ़ाई योजना में लाखों करोड़ों रुपये ख़र्च करके गन्दे नाले को “तरनि तनुजा तट तमाल तरूवर बहु छाए, झुके कूल सों जल परसन हित मनहू सुहाये “ की तर्ज़ पर तराशा गया है.
यह भी घोषित कर दिया गया कि खान नदी को सरस्वती नदी में बदल दिया जाएगा. जिसमें कल कल बहता पानी गंगाजल के समान साफ़ सुथरा और मन को सुख देने वाला करने की योजना बनाई गई है. इस समाचार पर किसी इन्दौर के निवासी ने यक़ीन किया हो या नहीं? पता नहीं, क्योंकि जबसे मुख्यमंत्री ने अमेरिका में घोषित किया है, वाशिग्टंन से उम्दा सड़कें इन्दौर के सुपर कोरिडोर की हैं; तब से इन्दौर निवासी उस दिन का ख़्बाव देख रहे हैं जब नगर के बीच बह रही खान नदी के घाटों पर बह डुबकी लगा कर गोताखोरी करने का आनन्द उठाएंगे.
इन्दौर शहर के बाशिन्दे नगर निगम के सपनों पर यक़ीन करें या नहीं करें, पर सुदूर देश “साइबेरिया” की ठन्ड से बचने के लिये हर साल आने वाले प्रवासी पक्षियों ने “मुख्यमंत्री उवाच” और नगर निगम के दावे पर यक़ीन करके खान नदी को गंगा नदी के समान स्वच्छ मानकर सामूहिक अतिथि यानि टूरिस्ट ग्रुप में इन्दौर में पड़ाव /डेरा जमा लिया.
इन्दौर में आकर उनको उम्मीद थी कि यहाँ की सरकार उनका “ग्लोबल मीट” के अतिंथियों की तरह स्वागत करेगी. पर इन अभागे परिन्दों के सहभोज का आयोजन “बिलावली तालाब” से निकली “गड़बड़ी के पुल” से गुज़री “देवी अहिल्या बाई होलकर सब्ज़ी मंडी” के पास पसरी, गंगा नदी के समान इन्दौर के भूखे नेताओं की नदी सुधार के नाम की आड़ में करोड़ों रुपये डकार कर, मोटे पेट पालने वाली, अन्नपूर्णा बनकर गन्दगी का परचम फहराती, “खान नदी” में ही आहार जुटाने के लिये जी तोड़ मेहनत करना पड़ रही है.
यहाँ इन विदेशी सरकारी मेहमान कहे जानेवाले, प्रवासी पक्षियों का राज्य सरकार की तरंफ से खैर-मक़दम स्वागत-सत्कार करने के लिये इन्दौर की गन्दगी का संकेतात्मक सरकारी प्रतीक बनकर “सूकर देव” प्रशासकीय उदासीनता, व्यवहारिकता और समझ की कमी की भूमिका निभा रहे हैं. पर हकीकत में इन विदेशी मेहमानों की हमारे नगर में सच में फजीहत हो रही है.
पौरूष बोरगांवकर जी: (पक्षी विशेषज्ञ ) की बहुमूल्य टिप्पणी
इस स्थान को मैंने भी सुबह देखा है. इस स्थान पर 5-6 प्रकार के पक्षियों ने अपना डेरा जमाया है. इनमें बगुला, काली धोबन, टिंटहरी, छोटा किलक़िला, गज़ पाव -Black winged stilt- और एक दो gulls हैं. स्टिल्ट की संख्या बहुत अधिक है. यह पक्षी अधिकतर गंदे पानी में रहता है. मतलब यह है कि नाले में सिवेज का पानी मिल रहा है. यही पानी आगे चलकर खान नदी में जाता है जिसकी सफ़ाई पर करोड़ों का ख़र्च हो रहा है.