हमने निर्णय लिया ढांचा टूट गया, हमने निर्णय किया होता तो मंदिर बन गया होता

मंदिर अभी तक क्यों नहीं बना?

प्रश्न तो उचित ही है पर उत्तर… हममें से अधिकांश लोग राजनेताओं और कोर्ट को दोष देंगे.

कुछ लोगों के अनुसार बीजेपी ने मामला लटका रखा है सिर्फ चुनाव में लाभ उठाने के लिए.

कुछ लोग काँग्रेस को दोष देते भी मिल जाएँगे… कोर्ट तो है ही मशहूर लेट लतीफी के लिए इसलिए सब एक सुर में उसको भी दोषी मान लेंगे.

1992 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद का ढाँचा टूटा.

6 दिसंबर को ही कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त हो गयी और राष्ट्रपति शासन लग गया.

एक साल के बाद चुनाव हुए और उत्तर प्रदेश ने कल्याण सिंह को बाबरी ढाँचा तुड़वाने में सहयोग का पुरस्कार दिया… मुलायम सिंह को उत्तर प्रदेश की बागडोर सौंप दी.

उस मुलायम सिंह को, जिसने कारसेवकों पर गोलियाँ चलवाई… उत्तर प्रदेश की जनता को मंदिर बनवाने का प्रयास करने वाली सरकार नहीं… मंदिर बनाने का प्रयास करने वालों को दंडित करने वाली सरकार पसंद थी.

मार्केट में जिस डिज़ाइन के कपड़े की माँग होती है वैसे ही कपड़े सभी गारमेंट कम्पनी बनाती हैं.

उत्तर प्रदेश की जनता ने बोला कि मंदिर बनवाने वाली नहीं मंदिर बनाने से रोकने वाली सरकार होनी चाहिए.

बीजेपी ने भी मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

जब जनता मंदिर माँगेगी तब मंदिर भी मिलेगा… माँगते तो है नहीं और विपक्षियों के सुर में सुर मिलाते हुए कोसने लगते हैं.

मंदिर अभी तक इसलिए नहीं बना क्योंकि हमने बनने नहीं दिया.

बीजेपी, काँग्रेस या सुप्रीम कोर्ट जितना दोषी है उससे ज्यादा दोषी हम हैं… हमने निर्णय लिया एक जुट हुए तो बाबरी ढाँचा टूट गया… हमने निर्णय किया होता तो मंदिर भी अभी तक बन गया होता

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