बाजरा की चाहे रोटी खाइए या खिचड़ी, हड्डियां मजबूत रखनी है तो ठण्ड में किसी न किसी रूप में बाजरा खाते रहिये.
बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता.
बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है.
गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है.
बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है. आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते. लीवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है.
खासतौर पर गर्भवती महिलाओं ने कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए.
इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए.
उच्च रक्तचाप, हृदय की कमजोरी, अस्थमा से ग्रस्त लोगों तथा दूध पिलाने वाली माताओं में दूध की कमी के लिये यह टॉनिक का कार्य करता है.
यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाय तो यह कुपोषण, क्षरण सम्बन्धी रोग और असमय वृद्ध होने की प्रक्रियाओं को दूर करता है.
रागी की खपत से शरीर प्राकृतिक रूप से शान्त होता है. यह एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमन्द होता है. यह माइग्रेन के लिये भी लाभदायक है.
इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल होते हैं जो अतिरिक्त वसा को हटा कर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं.
बाजरे में उपस्थित रसायन पाचन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं.
डायबिटीज़ में यह रक्त में शक्कर की मात्रा को नियन्त्रित करने में सहायक होता है.