उत्तरप्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक विजय और अपनी प्रचण्ड पराजय पर सपा, बसपा, कांग्रेस की तिकड़ी ने एकबार फिर EVM मशीन के साथ छेड़छाड़ का आरोप अलापना शुरू किया है.
इस बार ये तिकड़ी दुहाई दे रही है कि नगर निगमों में, जहां EVM से मतदान हुआ वहां भाजपा को जैसी सफलता मिली, वैसी सफलता उसको नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के चुनावों में नहीं मिली क्योंकि नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के चुनावों में मतदान EVM के बजाय बैलेट पेपर से हुआ था.
हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव के बाद कुछ महीनों पहले देश के चुनाव आयोग ने EVM के साथ छेड़छाड़ करके दिखाने की खुली चुनौती देकर EVM के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाने वालों के मुंह पर सार्वजनिक रूप से कालिख पोत दी थी.
लेकिन यूपी स्थानीय निकाय के चुनाव में बुरी तरह पराजित सपा, बसपा, कांग्रेस के ऐसे आरोप के मुंह पर कालिख पोतने का काम यूपी के स्थानीय निकाय चुनाव के परिणाम ही कर रहे हैं.
बैलेट पेपर से हुए नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के जिन चुनावों की दुहाई सपा, बसपा, कांग्रेस की तिकड़ी दे रही है उनमें भाजपा को अपने राजनीतिक इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सफलता मिली है.
नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के चुनाव में पिछली बार 2012 में भाजपा को मिली 42 सीटों की संख्या में इस बार 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई और उसको 70 सीटें मिली हैं.
नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के चुनाव में उसको मिली सीटों की संख्या का यह आंकड़ा कांग्रेस (9 सीट) को मिली सीटों की संख्या से 666% अधिक है. बसपा (29 सीट) को मिली सीटों की संख्या से 141% अधिक है. सपा (45 सीट) को मिली सीटों की संख्या से 57% अधिक है.
इसी प्रकार नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पिछली बार 2012 में भाजपा को मिली 36 सीटों की संख्या में इस बार 180% की प्रतिशत की वृद्धि हुई है और उसको 100 सीटें मिली हैं.
नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में उसको मिली सीटों की संख्या का यह आंकड़ा कांग्रेस(17 सीट) को मिली सीटों की संख्या से 490% अधिक है. बसपा (45 सीट) को मिली सीटों की संख्या से 122% अधिक है. सपा (83 सीट) को मिली सीटों की संख्या से 21% अधिक है.
यूपी के 16 नगर निगमों के 14 मेयर पदों पर विजय के साथ भाजपा को मिली 87% सफलता को लेकर EVM पर उंगली उठा रही सपा, बसपा, कांग्रेस की तिकड़ी को जवाब देना चाहिए कि पिछली बार यूपी के 12 नगर निगमों में से 10 के मेयर पदों पर विजय के साथ भाजपा को जब 81% सफलता मिली थी तब भाजपा के लिए EVM के साथ छेड़छाड़ किसने करवाई थी? क्योंकि उस समय तो केन्द्र में कांग्रेस की और यूपी में सपा की सरकार थी.
अतः उपरोक्त तथ्य यह सन्देश दे रहे हैं कि सपा, बसपा, कांग्रेस की तिकड़ी द्वारा यूपी के स्थानीय निकाय के चुनाव में भजपा के हाथों हुई अपनी शर्मनाक पराजय के पश्चात एकबार फिर EVM मशीन के साथ छेड़छाड़ के आरोप का विधवा विलाप करना इस कहावत की याद दिला रहा है कि ‘चूहे आंख बंद कर लें तो बिल्ली भाग नहीं जाती’.