उत्तरप्रदेश के स्थानीय निकायों के चुनाव में भाजपा की भारी जीत हुई है. मुझे यह जीत बड़ी चौंकाने वाली लग रही है और मैंने इस तरह के परिणाम आने की कोई आशा भी नहीं की थी!
यह जीत भाजपा की तो कही जायेगी लेकिन जितनी नालायकी संगठन की तरफ से हुई है उसको देखते हुये यह श्रेय उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के करिश्मे को जाता है. कहीं न कहीं भाजपा से नाराज वोटर ने भी योगी जी पर अपना विश्वास बनाए रखा है.
मैं समझता हूँ कि विपक्ष को इस चुनाव के परिणामों की गम्भीर समीक्षा करने की जरूरत है. क्योंकि यह आगे 2019 में उनके लिये इससे भयानक परिणामों को लेकर आने वाला है.
यहां यह समझने की बात है कि भाजपा को यह विजय तब मिली है जब पूरे प्रदेश में वोटर लिस्ट में बड़े स्तर पर गड़बड़ी की ख़बर मिली है.
भाजपा समर्थक वोटर्स के नाम मुहल्ले मुहल्ले गायब हुये हैं. लखनऊ में तो यह गड़बड़ी इतने व्यापक स्तर की थी कि मैंने लखनऊ सीट हारने की संभावना तक व्यक्त कर दी थी.
उत्तरप्रदेश की जनता ने यह स्पष्ट संकेत दिये है कि उनकी दृष्टि में योगी जी और मोदी जी की विश्वनीयता पूरी तरह बनी हुयी है और जल्दी उसमें कोई बदलाव नहीं आने वाला है.
अब मेरी चिंता 2019 के बाद की है क्योंकि अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष मृत्यु को प्राप्त होगा. यह इस लिये होगा क्योंकि विपक्ष खुद असाध्य रोग से ग्रसित हो गया है और जल्दी उसके सुधरने की आशा भी नहीं है.
यदि विपक्ष भारत का भला चाहता है तो 2019 के बाद उसे अपनी मानसिक विक्षिप्तता का त्याग करना ही होगा और सेक्युलरता के कैंसर का इलाज करा कर स्वस्थ होना होगा
क्योंकि एक अच्छा विपक्ष होना भी भारत की ज़रूरत है. ज्ञान की यह बात मैंने कह ज़रूर दी है लेकिन उस ज्ञान को ग्रहण करने की क्षमता शायद विपक्ष में नहीं रह गयी है.
और यदि यह ज्ञान विपक्ष ने गलती से लेने की कोशिश भी की तो मुझे मोदी जी पर इतना विश्वास है कि वह उनको लेने नही देंगे और विपक्ष को राहु केतु की तरह लटकता हुआ छोड़ देंगे.