सेमेटिक मजहबों के तीन स्तंभ होते हैं, एक ईश्वर, एक किताब और प्रोफेट यानि पैगंबर. इसलिये इन स्तंभों के बगैर इन मज़हबों की कल्पना भी नहीं की जा सकती. सेमेटिक परिवार में चाहे यहूदी हों, मसीही हों या फिर मुस्लिम, सबके सब मुख्यतया इन तीन स्तंभों पर ही टिके हैं.
अगर ‘मसीही मत’ यानि ‘ईसाइयत’ यानि ‘ख्रीस्ती मत’ यानि ‘Christianity’ की बात की जाये तो उनकी किताब ‘बाईबल’ उनके मज़हब की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का एकमात्र धर्मग्रन्थ है.
यहाँ ‘बाईबल’ के बारे में एक चीज़ स्पष्ट समझनी चाहिये कि जब हम ‘बाईबल’ शब्द का प्रयोग करते हैं तो इसके अंदर यहूदियों के भी कई ग्रन्थ समाहित हो जाते हैं. ये ‘बाईबल’ शब्द यूनानी मूल शब्द ‘बिबलिया’ से निकला है, जिसका अर्थ है ‘पुस्तकें’ यानि ‘बाइबिल’ का अर्थ है ‘पुस्तकों का संकलन’.
‘बाईबल’ मुख्य रूप में दो भागों में बंटा है, उसका पूर्व भाग ‘पुराना-नियम’ (ओल्ड-टेस्टामेंट) तथा उत्तर भाग ‘नया-नियम’ (न्यू टेस्टामेंट) के नाम से जाना जाता है.
‘पुराने नियम’ में ईसा के पहले और ‘आदम’ से लेकर उनके बाद आये तमाम यहूदी पैगम्बरों तथा यहूदी इतिहास का वर्णन है तथा नया-नियम ईसा के जीवन, उनकी शिक्षाओं और ईसाईयत के आरंभिक विस्तार से संबंधित है.
नये-नियम में ईसा के अलावा भी दो नबियों का वर्णन आया है, जिनके नाम है जकर्याह और यूहन्ना (बप्तिस्मा वाला). ‘पुराने नियम’ की पहली पांच किताबों को ही ‘तोराह’ या ‘तौरात’ नाम से जाना जाता है जिसके बारे में यहूदी, ईसाई तथा मुसलमान तीनों की ही मान्यता है कि ये मोज़ेज़ (मूसा) पर नाज़िल (दी गई) हुई थी.
यानि स्पष्ट रूप में कहा जाये तो केवल ‘नया-नियम’ यानि ‘बाईबल’ का उत्तर-भाग ही मूलतः ईसाइयों के लिये अधिक महत्व का है. ‘पुराने- नियम’ यानि ‘बाईबल’ के पूर्व भाग की प्रासंगिकता ईसाइयों के लिये केवल इसलिये है क्योंकि उनके अनुसार ‘बाईबल’ के इस पूर्व भाग में मसीह ईसा के आगमन से सम्बंधित कई शुभ-सूचनायें और भविष्यवाणियाँ हैं.
यही कारण है कि ‘क्रिसमस’ के अवसर पर ‘मसीही धर्म-प्रचारक’ जो पतली और छोटी सी ‘बाईबल’ बांटते हैं वो केवल पूरी बाईबल न होकर इसका उत्तर-भाग यानि ‘नया-नियम’ ही होता है.
‘नया-नियम’ को ही अंग्रेजी में ‘न्यू टेस्टामेंट’ और उर्दू में ‘अहदनामा-ए-ज़दीद’ के नाम से जाना जाता है. इसमें कुल मिलाकर सत्ताईस किताबों का संकलन है.
जानने लायक बात ये है कि ‘न्यू टेस्टामेंट’ यानि ‘नये-नियम’ की आरंभिक चार किताबों में ईसा के जन्म, उनकी शिक्षाओं और उनके सूलीकरण का वर्णन है, बाकी की तेईस किताबों में आरंभिक दौर में हुये चर्च और ईसाईयत के विस्तार, नियम और धारणाओं का सृजन हुआ है.
अंतिम ग्रन्थ ‘प्रकाशना ग्रन्थ’ में सृष्टि के अंत में और प्रलय पूर्व होने वाली कुछ अविश्वसनीय भविष्यवाणियों का वर्णन आया है.
‘नये नियम’ की आरंभिक चार किताबें ईसा के कथित चार शिष्यों (मैथ्यू या मत्ती, मार्क या मरकुस, ल्यूक या लूका और जॉन या यूहन्ना) की सूचनाओं पर आधारित हैं और चूँकि ये ‘ईसा मसीह’ से सम्बद्ध है इसलिये इन्हें सुसमाचार कहा जाता है और सामान्य भाषा में ‘गॉस्पेल अकॉर्डिंग टू मैथ्यू’, ‘गॉस्पेल अकॉर्डिंग टू मार्क’, ‘गॉस्पेल अकॉर्डिंग टू ल्यूक’ और ‘गॉस्पेल अकॉर्डिंग टू जॉन’ के नाम से लिखा और बोला जाता है. बाइबिल के ‘चैप्टर’ को ‘अध्याय’ कहते हैं. जिन अर्थों में ‘श्लोक’ या ‘आयत’ शब्द इस्तेमाल किये जातें हैं उन्हें बाईबल में ‘वचन’ कहा जाता है.
जारी…