पिता

ma jivan shaifaly with father Late Arvind Topiwala
Ma Jivan Shaifaly with father Late Arvind Topiwala

पिता, मोटे तने और गहरी जड़ों वाला
एक वृक्ष होता है
एक विशाल वृक्ष
और मां होती है
उस वृक्ष की छाया

जिसके नीचे बच्चे
बनाते बिगाड़ते हैं
अपने घरौंदे..

पिता के पास
दो ऊंचे और मजबूत कंधे भी होते हैं
जिन पर च़ढ़ कर बच्चे
आसमान छूने के सपने देखते हैं…

पिता के पास एक चौड़ा और गहरा
सीना भी होता है
जिसमें जज्ब रखता है
वह अपने सारे दुख
चेहरे पर जाड़े की धूप की तरह फैली
चिर मुस्कान के साथ…

पिता के दो मजबूत हाथ
छैनी और हथौड़े की तरह
दिन रात तराशते रहते हैं सपने
सिर्फ और सिर्फ बच्चों के लिए,

इसके लिए अक्सर
वह अपनी जरूरतें
और यहां तक की अपने सपने भी
कर देता है मुल्तवी
और कई बार तो स्थगित भी…

पिता, भूत, वर्तमान, और भविष्य
तीनों को एक साथ जीता है
भूत की स्मृतियां
वर्तमान का भार और बच्चों में भविष्य.

पिता की उंगली पकड़ कर
चलना सीखते बच्चे
एक दिन इतने बड़े हो जाते हैं
कि भूल जाते हैं रिश्तों की संवेदना
सड़क, पुल और बीहड़ रास्तों में
उंगली पकड़ कर तय किया कठिन सफर…

बाहें डाल कर
बच्चे जब झूलते हैं
और भरते हैं किलकारियां
तब पूरी कायनात सिमट आती है उसकी बाहों में,
इसी सुख पर पिता कुरबान करता है
अपनी पूरी जिन्दगी,
और इसी के लिए पिता
बहाता है पसीना ताजिन्दगी
ढोता है बोझा, खपता है फैक्ट्री में
पिसता है दफ्तर में
और बनता है बुनियाद का पत्थर

जिस पर तामीर होते हैं
बच्चों के सपने
पर फिर भी पिता के पास
बच्चों को बहलाने और सुलाने के लिए
लोरियां नहीं होती…

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