पेशवा बाजीराव की तलवार, राणा प्रताप का भाला, राणा सांगा का रण बल, पृथ्वीराज चौहान के द्वारा जीत के बाद दिया गया अभयदान, रावल रतन सिंह का रण, रानी पद्मिनी का जौहर, गोरा बादल की अद्भुत लड़ाई…
छत्रपति शिवाजी द्वारा औरंगज़ेब का थूथन फोड़ना, गुरु गोविन्द सिंह का बलिदान, बंदा बहादुर की सहन शक्ति… फिर रानी लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे या नाना साहब… मंगल पाण्डेय से लेकर चंद्र शेखर आज़ाद…
इन पर कुछ लिखना क्या… औकात ही क्या लिखने की… हाँ कुछ लिखकर श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकते हैं…
हम अपने इन महान रणबांकुरे पूर्वजों पर गर्व करते है… गर्व अपने पुरखों पर जिन्होंने न जाने क्या क्या सह के अपना धर्म, मान-सम्मान और संस्कृति को बचाए रखा इन मुग़ल और ईसाई अत्याचारियों से…
बात तो ये है ही नहीं कि कभी किसी भी हिन्दू जन मानस पर प्रश्न चिन्ह लगे… राजपूत, ब्राह्मण, कायस्थ, कुर्मी, कहार, हरिजन, आदिवासी या कोई भी हो, सबका योगदान भारत में हर समय अनंत काल से होता रहा है… निश्चिन्त रहें और हिन्दू होने पर गर्व करें.
ये सब बात जावेद अख्तर, उनके परिवार और उनके जैसे अन्य सेकुलरों को समझ नहीं आएगी… वो प्रश्न तो उठाएंगे… वो बोलेंग… उनको बोलना भी चाहिए…
उनके पास गर्व करने के लिए कुछ नहीं है तो बकवास ही कर लें… उनके पास शर्म करने के लिए अनेकों वजह है कि उनके पुरखे न लड़ सके और आसमानी किताब का साया कबूल फरमा लिया…
कबूल डर के किया या लालच से… ये वो ही बताएंगे… जिनके पास गर्व करने को न हो… जो इधर रहें तो शर्म से जीएं…
पाकिस्तान में होते तो मुहाज़िर कहलाते और लतियाए जा रहे होते… अरबी तो वैसे भी इनको सर पे मैला ढोने वाले से ज्यादा नहीं मानते…
इनको तो ये भी शर्म है कि देश के टुकड़े तक करवाए… लेकिन इन बेशर्मों को तो शर्म कैसी… तो शर्म के बोझ तले इन बेशर्म अख्तरों, आज़मियों और अन्य सेकुलरों का दोगला चरित्र ही है…
हर बोल के साथ इनके चरित्र को समझते रहिये… राजपूतों पर ही क्या इनको हर एक सनातनी हिन्दू पर बोलने दीजिये… इन conversion की पैदाइशों को आसमान की ओर मुंह करके थूकने दीजिये… इनका चरित्र खुल कर आने दीजिये…
वैसे फिल्म के रिलीज़ होने के पक्ष में हूँ… क्योंकि फिल्म से ही सही, लोगों को रानी पद्मावती के जौहर, रावल रतन सिंह के रण, गोरा बादल के साहस बल और खिलजी के कमीनेपन का इतिहास लोगों को जरूर पता चलना चाहिए.